Bihar board class 10 history solutions chapter 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद

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Class 10 History Chapter 2 questions and answers in Hindi

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Table of Contents

 Bihar board class 10 history solutions chapter 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद

 Bihar board class 10 history solutions chapter 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद अभ्यास वस्तुनिष्ठ प्रश्न : ( objective questions )

 

प्रशन रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ ?

उत्तर—  (क) 1861

 

प्रशन

  1. रूस में जार का अर्थ क्या होता था ?

उत्तर—  (घ) रूस का सम्राट

 

  1. कार्ल मार्क्स का जन्म कहाँ हुआ था ?

उत्तर—  (ख) जर्मनी

 

  1. साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ ?

उत्तर— (क) रूस

 

  1. यूटोपियन समाजवादी कौन नहीं था।

उत्तर— (ग) कार्ल मार्क्स

 

  1. ‘वार एंड पीस’ किसकी रचना है ?

उत्तर— (ख) टॉलस्टाय

 

  1. बोल्शेविक क्रांति कब हुई ?

उत्तर— (ख) नवंबर 1917

 

  1. लाल सेना का गठन किसने किया था ?

उत्तर— (ग) ट्रॉटस्की

 

  1. लेनिन की मृत्यु कब हुई ?

उत्तर— (घ) 1924

 

  1. ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुआ था ?

उत्तर— (घ) रूस और जर्मनी

 

अध्याय 2 के अनुसार कुछ नए प्रश्न

 

  1. फ्रांसीसी समाजवाद का विकास का जन्मदाता-

उत्तर—  सेंट साइमन

 

  1. ‘काम के अधिकार’ को संवैधानिक अधिकार का रूप सबसे पहले कहाँ मिला ?

उत्तर—  सोवियत संघ

 

  1. 7 नवम्बर, 1917 की बोल्शेविक क्रांति का नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर—  लेनिन

 

  1. अप्रैल थीसिस किसने तैयार की ?

उत्तर— लेनिन

 

  1. दास कैपिटल किसकी रचना है ?

उत्तर— कार्लमार्क्स

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  1. रासपुटिन कौन था ?

उत्तर— भ्रष्ट पादरी

 

  1. रूस का पहला समाजवादी था ?

उत्तर— प्लेखनोव

 

 

  1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

Bihar board class 10 history solutions chapter 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

  1. रूसी क्रांति के समय शासक ………………… था।

उत्तर—जार निकोलस

 

  1. बोल्शेविक क्रांति का नेतृत्व ……………………. ने किया था।

उत्तर—लेनिन

 

  1. नई आर्थिक नीति …………………. ई० में लागू हुआ था।

उत्तर— 1921

 

  1. राबर्ट ओवन ……………………….. का निवासी था।

उत्तर—ब्रिटेन

 

  1. वैज्ञानिक समाजवाद का जनक…………………. को माना जाता है।

उत्तर-  कार्ल माक्स

 

  1. रूस के शासक को …………….. कहा जाता था ।

उत्तर-जार

 

  1. मार्च, 1917 की रूसी क्रांति के बाद स्थापित सरकार का प्रधानमंत्री ……………… था।

उत्तर—केरेन्सकी

 

  1. लेनिन के दल का नाम ……………………… था।

उत्तर—बोल्शेविक दल

 

  1. लेनिन के नेतृत्व में……………………. क्रांति हुई ।

उत्तर-अक्टूबर क्रांति

 

  1. खूनी रविवार की घटना ……………… ई को घटित हुआ।

उत्तर-9 जनवरी, 1905

 

  1. ………………..ने तीन नारे भूमि, शांति और रोटी, दिया था ।

उत्तर-लेनिन

 

  1. लाल सेना का संगठन ……………… के द्वारा किया गया ।

उत्तर—ट्राटस्की

 

  1. जार निकोलस द्वितीय…………….. ई को सत्ता त्याग दिया

उत्तर- 15 मार्च 1917

 

  1. मार्च, 1917 की रूसी क्रांति को ………………. की क्रांति कहा जाता है ?

उत्तर— मेनशेविक क्रांति

Bihar board class 10 history solutions chapter 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद पूँजीवाद क्या है?

III. अति लघुउत्तरीय प्रश्न (20 शब्दों में उत्तर दें)

 

  1. पूँजीवाद क्या है?

उत्तर- -पूँजीवादी ऐसी राजनैतिक, आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी सम्पत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है।

 

  1. खूनी रविवार क्या है?

उत्तर— 1905 ई० के रूस-जापान युद्ध में रूस एशिया के एक छोटे-से देश जापान से पराजित हो गया। पराजय के अपमान के कारण जनता ने क्रांति कर दी। 9 जनवरी, 1905 ई० लोगों का समूह प्रदर्शन करते हुए सेंट पिट्सबर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये। यह घटना रविवार के दिन हुई, अतः इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

 

  1. अक्टूबर क्रांति क्या है?

7 नवम्बर, 1917 ई० में बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केन्द्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया। इसी क्रान्ति नवम्बर की क्रांति कहते हैं। इसे अक्टूबर की क्रान्ति भी कहा जाता है क्योंकि पुराने कैलेन्डर के अनुसार यह 25 अक्टूबर, 1917 ई० की घटना थी।

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  1. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ?

उत्तर- समाज का वह वर्ग जिसमें गरीब किसान, कृषक मजदूर, सामान्य मजदूर, श्रमिक एवं आम गरीब लोग शामिल हो उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं।

 

  1. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?

उत्तर – क्रांति से पूर्व रूसी कृषकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। वे अपने छोटे-छोटे खेतों में पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का अभाव था और करों के बोझ से वे दबे हुए थे।

 

प्रश्न 6. समाजवाद क्या है ?

उत्तर—उत्पादन, वितरण एवं लाभ पर राष्ट्र तथा समाज का नियंत्रण और आर्थिक एवं सामाजिक समानता की स्थापना । समाजवाद शब्द सर्वप्रथम 1832 में ले-ग्लोब नामक एक फ्रांसीसी पत्रिका में छपा।

 

  1. लघुउत्तरीय प्रश्न (60 शब्दों में उत्तर दें)

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  1. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें ।

उत्तर— रूसी क्रांति के निम्न दो कारण हैं-

(i) मज़दूरों की दयनीय स्थिति :-  रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। उन्हें अधिक काम करना पड़ता था परन्तु उनकी मजदूरी काफी कम थी। उनके साथ दुर्व्यवहार तथा अधिकतम शोषण किया जाता था मजदूरों को कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे। अपनी मांगों ने समर्थन में वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे और न ‘मजदूर संघ’ ही बना सकते थे। ये मजदूर पूँजीवादी व्यवस्था एवं जारशाही की निरंकुशता को समाप्त कर “सर्वहारा वर्ग” का शासन स्थापित करना चाहते थे।

(ii) औद्योगीकरण की समस्या :- रूस में अलेक्जेण्डर III के समय में औद्योगीकरण की गति में तीव्रता आई, लेकिन रूसी औद्योगीकरण पश्चिमी पूँजीवादी औद्योगीकरण से भिन्न था। यहाँ कुछ ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ती गई। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे इसके कारण लोगों में असंतोष व्याप्त था ।

 

  1. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी?

उत्तर- रूस की प्रजा विभिन्न जातियों के सम्मिश्रण से बनी थी । वहाँ कई धर्म प्रचलित थे । कई भाषाएँ थी। रूस में स्लाव, फिन, पोल जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग थे परन्तु इनमें स्लाव जाति के लोग प्रमुख थे। इन अल्पसंख्यक जातियों के विरुद्ध जार निकोलस द्वितीय के समय रूसीकरण की नीति अपनाई गई और “एक जार एक धर्म” का नारा अपनाया गया। गैर रूसी जनता का दमन किया गया, इनकी भाषाओं पर प्रतिबंध लगाये गये इनकी संपत्ति छीन ली गई 1863 ई० में इस नीति के विरुद्ध पोलों ने विद्रोह किया तो उनका निर्दयतापूर्वक दमन किया गया। इस कारण गैर रूसी जनता में असंतोष फैला और वह जारशाही के विरुद्ध हो गई।

 

 

  1. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी कैसे ?

उत्तर- मजदूरों को पूँजीपतियों के शोषण से मुक्त कराना, उत्पादन एवं वितरण में समानता स्थापित करना, मजदूरों को विशेष सुविधाएँ जैसे कार्य के घंटे, वेतन, मजदूरों को संघ बनाने की सुविधाएँ तथा मजदूरों के न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कराना । सामाजिक व्यवस्था में वर्ग-संघर्ष को समाप्त कर वर्गहीन समाज की स्थापना करना ।

 

  1. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था कैसे ?

उत्तर – मार्च, 1921 ई० में लेनिन ने नई आर्थिक नीति का प्रतिपादन किया जिसमें साम्यवादी विचारधारा के साथ-ही-साथ पूँजीवादी विचारधारा को स्वीकार किया।

जैसे—(i) कृषकों से अतिरिक्त उपज की अनिवार्य वसूली बंद कर दी गई एवं किसानों को अतिरिक्त उत्पादन को बाजार में बेचने की अनुमति प्रदान किया गया।

(ii) 1924 ई० में सरकार ने अनाज के स्थान पर रूबल (सोवियत संघ की मुद्रा) में कर लेना प्रारम्भ किया।

(iii) सोवियत संघ में छोटे उद्योगों का विराष्ट्रीकरण किया गया। 1922 ई० में चार हजार छोटे उद्योगों को लाइसेंस जारी किया गया ।

(iv) श्रमिकों को कुछ नगद मुद्रा प्रदान किया जाने लगा।

 

  1. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे ?

उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से 1918 तक चला। रूस इस युद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा। युद्ध में शामिल होने का एकमात्र उद्देश्य था कि रूसी जनता आंतरिक असंतोष को भूलकर बाहरी मामलों में उलझे रहे। परन्तु युद्ध चारों तरफ हार रही थी। रूसी सेनाओं के पास न अच्छे हथियार थे और न ही पर्याप्त भोजन की सुविधा थी। युद्ध के मध्य में जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया फलस्वरूप दरबार खाली हो गया। जार की अनुपस्थिति में जरीना और उसका तथाकथित गुरु रासपुटीन (पादरी) जैसा निकृष्टतम व्यक्ति को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया। जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा धूमिल हुई।

 

प्रश्न 6. समाजवाद क्या है ?

उत्तर—समाजवाद का मोटे तौर पर अर्थ है- समाज में समानता की स्थापना करना। समानता का अर्थ है-आर्थिक और राजनीतिक समानता । इसमें अवसरों की समानता, योग्यता के अनुसार कार्य करने का अधिकार, समान कार्य के लिए समान वेतन तथा जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति उपलब्ध करने की भावना सन्निहित है । उसका अन्तिम लक्ष्य वर्ग-संघर्ष का अंत कर वर्गहीन समाज की स्थापना करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर राष्ट्र के अधिकार को उचित ठहराया गया है।

 

Bihar board class 10 history solutions chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150 शब्दों में उत्तर दें)

 

  1. रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।

उत्तर—रूसी क्रांति के निम्नलिखित कारण थे-

(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन :- जार ने भी कठोर एवं दमनात्मक नीति का पालन किया, किन्तु 1905 की क्रांति के फलस्वरूप उसे सुधारवादियों को संतुष्ट करने के लिए ‘डयूमा’ (रूसी संसद) का निर्वाचन करना पड़ा। ‘ड्यूमा’ को भी उसने जनता की प्रतिनिधि सभा के वास्तविक अधिकारी होने से वंचित रखा। जार निकोलस-II की पत्नी भी घोर प्रतिक्रियावादी औरत थी। वह रासपुतीन (Rusputin) नामक पथभ्रष्ट पादरी के चंगुल में फंस गयी थी। उस समय रासपुतीन की इच्छा ही कानून था। अतः गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गई और जनता की स्थिति लगातार दयनीय होती चली गई।

(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति :- वहाँ कृषकों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। जार अलेक्जेण्डर द्वारा 1861 में कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी। परन्तु इससे किसानों की स्थिति में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। रूस की समस्त जनसंख्या का | एक तिहाई भाग भूमिहीन था। खेती पुरानी पद्धति से की जाती थी। भूमिहीन को जमींदारों की भूमि पर काम करना पड़ता था। कृषकों को कई तरह के करों का भुगतान करना पड़ता था।

(iii) मजदूरों की दयनीय स्थिति :- रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। उन्हें अधिक काम करना पड़ता था परन्तु उनकी मजदूरी काफी कम थी। उनके साथ दुर्व्यवहार तथा अधिकतम शोषण किया जाता था मजदूरों को कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे।

(iv) औद्योगीकरण की समस्या :-

(v) रूसीकरण की नीति :-

(vi) विदेशी घटनाओं का प्रभाव-

(क)  क्रीमिया का युद्ध:-  रूस की क्रांति में विदेशी घटनाओं का भी प्रभाव पड़ा क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय ने उस देश में सुधारों का युग शुरू किया।

(ख) जापान से पराजय तथा 1905 की क्रांति- 1905 के रूस-जापान युद्ध में रूस, जापान के हाथों बुरी तरह पराजित हुआ। रूस एशिया के सबसे छोटे देश से पराजित हुआ था। इस पराजय के कारण रूस में 1905 में क्रांति हो गई।

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  1. नई आर्थिक नीति क्या है ?

उत्तर—मार्च 1921 ई० में साम्यवादी दल के ‘दसवें अधिवेशन’ में ‘नयी आर्थिक नीति’ की घोषणा लेनिन ने किया। इस नीति के द्वारा लेनिन साम्यवादी सिद्धांत के साथ-ही-साथ पूँजीवाद विचारधारा को भी स्वीकार किया। इस नीति का उद्देश्य श्रमिक वर्ग और कृषकों के आर्थिक सहयोग को सुदृढ़ बनाना, नगरों और गाँवों vec d समस्त श्रमजीवी वर्ग को देश की अर्थव्यवस्था का विकास करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा अर्थव्यवस्था के प्रमुख सूत्रों को शासन के अधिकार में रखते हुए, आंशिक रूप से पूँजीवादी व्यवस्था को कार्य करने की अनुमति देना था ।

(i) कृषि का पुनरुद्धार – कृषकों से अतिरिक्त उपज की अनिवार्य वसूली बन्द कर दी गई एवं किसानों को अतिरिक्त उत्पादन को बाजार में बेचने की अनुमति प्रदान किया गया ।

(ii) उद्योगों- -युद्ध सामग्री और उत्पादन के स्तर को ऊँचा करने के लिए आवश्यक था कि औद्योगीकरण तेजी से किया जाय। स्टालिन रूस को मशीन आयात करने वाले देश से मशीन निर्माण करने वाले देश बना दिया।

(iii) मुद्रा सुधार एवं व्यवस्था – गृह युद्ध के कारण देश की मुद्रा का पूरी तरह अवमूल्यन हो चुका था । अतः 1922 ई० में शासकीय बैंक को चवनेत्स बैंक नोट जारी करने के लिए प्राधिकृत किया गया ।

(v) श्रम और मजदूर संघ नीति — जबरदस्ती श्रम करवाने और बराबर वेतन न देने की नीति समाप्त हो गई। श्रमिकों को कुछ नगद मुद्रा भी दिया जाने लगा।

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  1. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।

उत्तर— रूसी क्रांति का प्रभाव रूसी क्रांति के प्रभाव को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है—(क) सोवियत संघ, (ख) विश्व ।

(क) सोवियत संघ पर अक्टूबर क्रांति का निम्न प्रभाव पड़ा-

 

(i) स्वेच्छाचारी शासन का अंत—जार शाही एवं कुलीनों के स्वेच्छाचारी शासन का अंत कर दिया गया। तत्पश्चात् एक नवीन संविधान का निर्माण किया गया। जिसके अनुसार वहाँ जनता के शासन की स्थापना हुई।

(ii) सर्वहारा वर्ग का शासन— नए संविधान द्वारा मजदूरों को वोट देने अधिकार मिला। देश की सम्पूर्ण संपत्ति राष्ट्रीय संपत्ति घोषित की गई। उत्पादन के साधनों पर मजदूरों का नियंत्रण हो गया। उत्पादन व्यवस्था में निजी मुनाफे की भावना को निकाल दिया गया।

(iii) साम्यवादी शासन की स्थापना — अक्टूबर क्रांति द्वारा सोवियत संघ में – साम्यवादी शासन की स्थापना हुई।

(vi) सभी जातियों को समानता का अधिकार – सोवियत संघ में सम्मिलित सभी जातियों की समानता को संविधान में कानूनी रूप दिया गया। उनकी भाषा तथा संस्कृति का भी विकास हुआ।

(ख) विश्व

नकारात्मक प्रभाव — (i) सोवियत संघ में एवं विश्व के कई देशों में साम्यवादी शासन स्थापित होने pi पूँजीवादी देशों (अमेरिका एवं पश्चिमी यूरोप के देश) का तीव्र विरोध हुआ परिणामस्वरूप सम्पूर्ण विश्व पर 1990 तक (सोवियत संघ के विघटन तक) शीत युद्ध की काली छाया छाई रही।

(ii) सम्पर्ण विश्व में पूँजीपतियों एवं मजदूरों के मध्य संघर्ष कटु होने लगा ।.

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  1. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।

उत्तर— साइमन, फुरियेर, ब्लां आदि समाजवादियों की तरह मार्क्स काल्पनिक नहीं था, वस्तुत: वह वैज्ञानिक समाजवाद का जन्मदाता था। मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में यहूदी परिवार में हुआ था । इसके पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे, जिन्होंने आगे चलकर इसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। मार्क्स बोन विधि विश्वविद्यालय में निधि की शिक्षा ग्रहण करने के को पश्चात् 1936 में बर्लिन विधि विश्वविद्यालय चले आये जहाँ उनके जीवन एक नया आयाम मिला। 1843 में अपने वचपन की मित्र जेनी से विवाह किया । मार्क्स हींगल के विचारों से प्रभावित थे। मार्क्स ने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मांण्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का गहन अध्ययन किया। 1844 ई० में मार्क्स की मुलाकात फ्रेडरिक एंगेल्स से पेरिस में हुई। मार्क्स ने अपने मित्र फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर 1848 ई० में ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (साम्यवादी घोषणा पत्र) प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद कहा जाता है। इस घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया । 1867 ई० में मार्क्स एवं एंगेल्स ने ‘दास कैपिटल’ की रचना की जिसे “समाजवादियों का बाइबिल कहा जाता है। यही दो पुस्तकें मार्क्सवादी दर्शन के मूलभूत सिद्धांतों को प्रस्तुत करती हैं जिसे 20वीं शताब्दी में साम्यवाद कहा गया है।

 

मॉर्क्स के सिद्धांत

  1. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
  2. वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत
  3. इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या (इतिहास की आर्थिक व्याख्या)
  4. मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
  5. वर्गहीन समाज की स्थापना ।

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  1. यूरोपीयन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।

उत्तर—काल्पनिक (यूटोपियन) समाजवादी-समाजवादी विचारधारा की शुरूआत काल्पनिक समाजवादी विचारधारा के लोगों द्वारा शुरू की गई। सेंट साइमन फ्रांसीसी समाजवाद के असली संस्थापक थे। इन्होंने ‘द न्यू क्रिश्चियनिटी’ (1825) ने अपने समाजवादी विचारों का प्रतिपादन किया। साइमन का विचार था कि समाज का वैज्ञानिक ढंग से पुनर्गठन हो, श्रमिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना चाहिए, प्रतियोगिता समाप्त होनी चाहिए, उत्पादन धनी वर्ग के हाथ में नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि उसका सावधानी से नियंत्रण किया जाना चाहिए जिससे निर्धन श्रमिकों को लाभ हो सके। उसने घोषित किया ‘प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार कार्य तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार पुरस्कार मिलना चाहिए।’सेंट साइमन की सामाजिक व्यवस्था चार्ल्स फुरियर ने आगे बढ़ाया। इसने असंख्य निर्धन श्रमिकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सहकारी समुदायों में संगठित करने की योजना बनाई। इस प्रकार सेंट साइमन और चार्ल्स फुरियर दोनों यह मानते थे कि मजदूरों का कल्याण तभी सम्भव है जब पूँजीवादी व्यवस्था द्वारा स्थापित नियंत्रण समाप्त हो जाये। परन्तु इन दोनों की विचारधारा अव्यवहारिक सिद्ध हुई। 1840 ई० के बाद लुई ब्लां फ्रांस का सबसे प्रभावशाली काल्पनिक समाजवादी विचारक और नेता था। उसने आर्थिक क्षेत्र में वैयक्तिक स्वतंत्रता के सिद्धांत का विरोध किया और राज्य से मजदूर के काम के अधिकार और उस अधिकार की प्राप्ति के लिए ‘राष्ट्रीय कारखानों’ की मांग की। लुई ब्लां का विश्वास था कि क्रांतिकारी षडयंत्र के जरिये सत्ता पर अधिकार कर समाजवाद लाया जा सकता है। 5/(1 ^ 2) ब्लां का विश्वास था कि आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है। लुई ब्लां के सुधार कार्यक्रम अधिक व्यवहारिक थे। फ्रांस से बाहर ब्रिटेन में रॉबर्ट ओवन, विलियम थाम्पसन ट्रामस हॉडस्किन, जान ग्रे जैसे काल्पनिक समाजवादी विचारक थे। इसने स्काटलैण्ड के न्यू लूनार्क नामक स्थान पर एक फैक्ट्री की स्थापना की थी। उसने अपने फैक्ट्री में अनेक सुधार कर अपने मजदूरों की हालत सुधारने का प्रयास किया। उसने मजदूरों के काम के घंटों में कमी की तथा उन्हें उचित वेतन दिया। मजदूरों के लिए साफ-सुथरे मकान बनवाये और आमोद-प्रमोद के केन्द्र स्थापित किये।

 

रॉबर्ट ओवन मिल मालिक वर्गों को मजदूरों के साथ अच्छा व्यवहार करने का आग्रह करता रहा। अपने इन सभी कार्यों के आधार पर उसने महसूस किया कि मुनाफा कम होने के बजाय मुनाफा और भी बढ़ गया। अतः वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि संतुष्ट श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक है। निष्कर्षत: उपर्युक्त सभी काल्पनिक समाजवादी विचारक आरंभिक चिंतक थे। इन्होंने वर्ग-संघर्ष के बदले वर्ग-समन्वय पर बल दिया जो समाजवाद को आदर्शवादी दृष्टिकोण था । इन्होंने पूँजी और श्रम के बीच के संबंधों की समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया। कार्ल मार्क्स ने इनकी विफलता से सबक लिया और वैज्ञानिक समाजवाद की अवधारणा विश्व को दी।

 

सुमेलित करें

(i) दास कैपिटल                     (क) 1953

(ii) चेका                              (ख) कार्ल मार्क्स

(iii) नई आर्थिक नीति             (ग) 1883

(iv) कार्ल मार्क्स की मृत्यु         (घ) गुप्त पुलिस संगठन

(v) स्टालिन की मृत्यु                (ङ) लेनिन

 

उत्तर—

सुमेलित करें

(i) दास कैपिटल         —               (ख) कार्ल मार्क्स

(ii) चेका                      —            (घ) गुप्त पुलिस संगठन

(iii) नई आर्थिक नीति    —             (ङ) लेनिन

(iv) कार्ल मार्क्स की मृत्यु    —         (ग) 1883

(v) स्टालिन की मृत्यु      —             (क) 1953

 

वर्ग परिचर्चा :

 

  1. आज के संदर्भ में समाजवाद एवं साम्यवाद की आवश्यकता पर वर्ग में चर्चा शिक्षक की उपस्थिति में करें।
  2. भारतीय शासन प्रणाली में समाजवाद का प्रभाव पर परिचर्चा आयोजित करें।

 

इतिहास की दुनिया

 

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