अमृतवाणी संस्कृतभाषा | devvani class 7

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पाठ: – दशमः अमृतवाणी संस्कृतभाषा

संस्कृत में ‘भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती’

संस्कृतभाषा अति प्राचीना अस्ति । दैवीय प्रेरणया उत्पन्ना अतः इयं भाषा देवभाषा इति कथ्यते । सम्पूर्णे अपि विश्वे आदिज्ञानस्य आधाराः ऋग्वेद, यजुर्वेदः, सामवेद:, अर्थववेदः इति चतुर्वेदा: तथा शिक्षा, कल्पः, ज्योतिषं, छन्दः व्याकरणं, निरूक्तम् इति षड् वेदाङ्गानि अष्टोत्तरशतम् उपनिषदः, षड् दर्शनानि, अष्टादश पुराणानि, चिकित्सा-नाट्य – साहित्य-शास्त्रादयः ग्रन्थाः च संस्कृतभाषायाम् एव लभ्यन्ते। पुरा संस्कृतभाषा जनभाषा आसीत्, अधुना अपि प्रासङ्गिकी अस्ति। संस्कृतस्य महत्त्वं विविधकारणैः अस्ति । यथा

हिंदी में‘भाषासु मुखय मधुरा दिव्य गिर्वान् भारती’

संस्कृत अत्यंत प्राचीन भाषा है। इसका निर्माण दैवीय प्रेरणा से हुआ है और इसलिए इसे देवताओं की भाषा कहा जाता है। चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अर्थवेद, और छह वेद, शिक्षा, कल्प, ज्योतिष, छंद, व्याकरण, निरुक्त, 180 उपनिषद, 6 दर्शन, 18 पुराण, चिकित्सा, नाटकीय, साहित्यिक और शास्त्रीय ग्रंथ सभी संस्कृत में हैं। उपलब्ध हैं। संस्कृत अतीत में भी जन-जन की भाषा थी और आज भी प्रासंगिक है। संस्कृत विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण है। जैसा –

संस्कृत में (क) आध्यात्मिकं महत्त्वम् आध्यात्मिकज्ञानेन भारतं जगद्गुरुः आसीत्। श्रीमद्भगवद्गीतादि भारतीयधर्म दर्शनग्रन्थेषु गूढरहस्यानि दैवीयतत्त्वानि निहितानि । भौतिकजगति आध्यात्मिक शान्तिनिमित्तं वैदेशिकाः अपि भारतीयदर्शनस्य अध्ययनं कुर्वन्ति ।

हिंदी में(क) आध्यात्मिक महत्व भारत आध्यात्मिक ज्ञान में विश्व गुरु था। श्रीमद-भागवतम और अन्य भारतीय धार्मिक दार्शनिक ग्रंथों में रहस्यमय दिव्य तत्व शामिल हैं। भौतिक जगत में आध्यात्मिक शांति के लिए विदेशी लोग भी भारतीय दर्शन का अध्ययन करते हैं।

गीताऽमृतम् | devvani sanskrit ch 9 | class 7

संस्कृत में (ख) सांस्कृतिक महत्त्वम् ‘भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा ।” तत्रापि “संस्कृति: संस्कृताश्रिता” इति उच्यते । चत्वारः पुरुषार्थाः, चत्वारः आश्रमाः, षोडश संस्काराः स्त्रीसमादरादयः, सदाचारविचाराः धर्मपुराणस्मृतिग्रन्थेषु संस्कृतभाषायाम् एव प्रतिपादिताः ।

हिंदी में(ख) सांस्कृतिक महत्व ‘भारत की प्रतिष्ठा में दो चीजें हैं, संस्कृत और संस्कृति। मनुष्य के चार उद्देश्य, चार आश्रम, सोलह संस्कार, जैसे महिलाओं का सम्मान, और सदाचार के विचार सभी धर्म, पुराण और स्मृतियों में संस्कृत में व्यक्त किए गए हैं।

संस्कृत में (ग) साहित्यिकं महत्त्वम् संस्कृतभाषायाम् आदिकविवाल्मीकिम् आरभ्य विष्णुशर्मा-कालिदास- भारविमाघदण्डिभर्तृहरिजयदेवादीनां वैविध्यपूर्णकवीनां विश्वप्रसिद्धा समृद्धपरम्परा अस्ति। एतेषां कृतिषु गद्यपद्यनाट्यकाव्यगीतिनीतिस्तोत्रकथासाहित्यस्य भण्डारः दृश्यते ।

हिंदी में(ग) साहित्यिक महत्व संस्कृत में आदिकवि वाल्मिकी, विष्णु शर्मा, कालिदास, भारविमघदण्डीभर्त्री और हरिजयदेव से लेकर विविध कवियों की एक समृद्ध विश्व-प्रसिद्ध परंपरा है। इन कृतियों में गद्य, पद्य, नाटक, कविता, गीत, नीति, भजन, कहानियाँ और साहित्य का खजाना है।

संस्कृत में (घ) वैज्ञानिकं महत्त्वम् विज्ञानस्य विभिन्नक्षेत्रेषु भारतीयवैज्ञानिकैः पाणिनि-पतञ्जलि-कणाद -आर्यभट्ट-वराहमिहिर-भास्कराचार्यादिभिः संस्कृते लिखिताः ग्रन्थाः अद्यापि विश्वस्य मार्गदर्शनं कुर्वन्ति। भाषाविज्ञानदृष्ट्या अपि सुदृढबद्धव्याकरणकारणात् सङ्गणकाय अस्याः भाषाया: उपयोगिता उद्घोषिता। समस्तभारतीयभाषाणां जनन्याः संस्कृतभाषायाः प्रभावः अन्यवैदेशिकभाषासु अपि दृश्यते। समृद्धशब्दभण्डारकारणात् आधुनिकप्राविधिकक्षेत्रे पारिभाषिकशब्दानुवादसमये संस्कृतस्य एव साहाय्यं स्वीक्रियते ।

हिंदी में(घ) वैज्ञानिक महत्व पाणिनि, पतंजलि, कणाद, आर्यभट्ट, वराहमिहिर और भास्कराचार्य जैसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में संस्कृत में लिखे गए कार्य आज भी दुनिया का मार्गदर्शन करते हैं। भाषाई दृष्टिकोण से, इसके सुस्थापित व्याकरण के कारण कंप्यूटर के लिए भी इस भाषा की उपयोगिता घोषित की गई है। सभी भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत का प्रभाव अन्य विदेशी भाषाओं पर भी देखने को मिलता है। अपनी समृद्ध शब्दावली के कारण आधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पारिभाषिक शब्दों के अनुवाद के दौरान संस्कृत केवल सहायता स्वीकार की जाती है।

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संस्कृत में न केवलम् एतानि कारणानि अपितु संस्कृतं सम्पूर्ण राष्ट्रम् एकसूत्रेण बध्नाति।

अस्याः भाषायाः ऐतिहासिक-सामाजिक- राष्ट्रिय-अन्तरराष्ट्रियक्षेत्रेषु अपि महत्त्वम् अस्ति। एतस्याः महत्त्वं ज्ञात्वा इदानीं भारतसर्वकारः अपि पुनः जनभाषां कर्तुं १९९९-२००० वर्षं “संस्कृतवर्षम् उद्घोषितवान्। भारते इदानीं त्रयोदश संस्कृतविश्वविद्यालयाः सन्ति। प्रतिवर्षं श्रावणमासस्य द्वादशीतः भाद्रपदमासस्य तृतीयापर्यन्तं “संस्कृतसप्ताहः” भवति । श्रावणीपूर्णिमा संस्कृतदिवसरूपेण आयोज्यते। संस्कृतभाषा सरला सरसा सुबोधा जनभाषा अस्ति। भारतस्य कर्णाटकप्रान्ते “मुत्तूर” ग्रामे, मध्यप्रदेशे

हिंदी मेंसिर्फ यही कारण नहीं बल्कि संस्कृत पूरे देश को एक सूत्र में बांधती है।

यह भाषा ऐतिहासिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की भी है। इसके महत्व को समझते हुए, भारत सरकार ने इसे फिर से लोगों की भाषा बनाने के लिए 1999-2000 को “संस्कृत वर्ष” घोषित किया है। भारत में अब तेरह संस्कृत विश्वविद्यालय हैं। गाँव, मध्य प्रदेश में”

संस्कृत में झीरिग्रामे” च जनाः संस्कृतेन वदन्ति । इदानीम् अस्माभिः अपिसंस्कृतं पठित्वा अस्याः भाषायाः प्रसाराय प्रयत्नः करणीयः । सत्यमेवोक्तम्-

हिंदी मेंऔर झिरीग्राम में लोग संस्कृत बोलते हैं। अब हमें भी संस्कृत पढ़नी चाहिए और इस भाषा को फैलाने का प्रयास करना चाहिए। यह सच है-

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संस्कृत में “विना वेदं विना गीतां

विना रामायणी कथाम् ।

विना कवि कालिदासं

भारतं भारतम् नहि ॥

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हिंदी में“वेदों के बिना, गीता के बिना

बिना रामायण की कहानी के.

कवि कालिदास के बिना

भारत भारत नहीं है.

 

पाठ: – दशमः अमृतवाणी संस्कृतभाषा

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प्रश्न 1.

२. एकपदेन उत्तरं लिखत । [ उत्तर एक शब्द में लिखिए ]

(क) का भाषा ‘देवभाषा’ इति कथ्यते? [कौन-सी भाषा ‘देवभाषा’ कही जाती है?]

उत्तर:- संस्कृत भाषा

(ख) कदा संस्कृत दिवसः आयोज्यते? [संस्कृतदिवस का आयोजन कब किया जाता है?]

उत्तर:- श्रावणी पूर्णिमायाम्

(ग) आदिज्ञानस्य आधाराः के? [प्रारम्भिक ज्ञान के आधार क्या थे?]

उत्तर:- चतुर्वेदाः, वेदाङ्गनि उपनिषदः दर्शनानि पुराणानि, चिकित्सानाट्य साहित्यशास्त्रादयः ग्रन्थाः

(घ) किं वर्षं संस्कृतवर्षम्? [कौन-सा वर्ष संस्कृत वर्ष है?]

उत्तर:- १९९९-२००० वर्ष ‘संस्कृतवर्षम्’

(ङ) भारतस्य द्वे प्रतिष्ठे के? [भारत की दो प्रतिष्ठा क्या हैं?]

उत्तर:- संस्कृतं संस्कृतिस्तथा

(च) का भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र एकसूत्रेण बध्नाति? [कौन-सी भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र को एकसूत्र में बाँधती हैं?]

उत्तर:- संस्कृत भाषा।

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प्रश्न 2.

२. एकवाक्येन उत्तरं लिखत [ एक वाक्य में उत्तर लिखो ]

(क) संस्कृतभाषायाः पञ्चकवीनां नामानि लिखतः। [संस्कृत भाषा के पाँच कवियों के नाम लिखो।]

उत्तर:- संस्कृतभाषायाः पञ्चकवीनां नामानि-कालिदास भारविमाघदण्डि भर्तृहरिः सन्ति। [संस्कृत भाषा के पाँच कवियों के नाम हैं-कालिदास, भारवि, माघ, दण्डि तथा भर्तृहरि।]

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(ख) गूढरहस्यानि दैवीयतत्वानि कुत्र निहितानि? [गूढ़ रहस्य तथा दैवी तत्व कहाँ छिपे हुए हैं?]

उत्तर:- श्रीमद्भगवद्गीतादिभारतीय धर्मदर्शन ग्रन्थेषु गूढरहस्यानि दैवीय तत्वानि निहितानि। [श्रीमद्भगवद्गीता आदि भारतीय धर्मदर्शन के ग्रन्थों में गूढ़ रहस्य तथा दैवी तत्व छिपे हुए हैं।]

 

(ग) कस्मात् कारणात् सङ्गणकाय संस्कृतम् उपयुक्तम् [किस कारण से संगणक के लिए संस्कृत उपयुक्त हैं?]

उत्तर:- भाषाविज्ञान दृष्ट्या सुदृढ़सुबद्धव्याकरणकारणात् सङ्गणकाय संस्कृतम् उपयुक्तम्। [भाषा विज्ञान की दृष्टि से सुदृढ़ और सुबद्ध व्याकरण के कारण से संगणक के लिए संस्कृत भाषा उपयुक्त है।]

(घ) कयोः ग्रामयोः जनाः संस्कृतेन वदन्ति? [कौन से दो गाँवों में मनुष्य संस्कृत में बोलते हैं?]

उत्तर:- कर्नाटके ‘मत्तूर ग्रामे’, मध्य प्रदेशे ‘झीरिग्रामे’ च जनाः संस्कृतेन वदन्ति। [कर्नाटक में ‘मत्तूर’ गाँव में, तथा मध्य प्रदेश के ‘झीरि गाँव’ में लोग संस्कृत में बोलते हैं।]

(ङ) धर्मपुराणस्मृतिग्रन्थेषु किं किं प्रतिपादितम्? [धर्मपुराण स्मृति ग्रन्थों में किस-किस बात का प्रतिपादन किया है?]

उत्तर:- चत्वारः पुरुषार्थाः, चत्वारः आश्रमाः, पोड्शसंस्काराः स्त्रीसमादरायः, सदाचारविचाराः, धर्मपुराणस्मृति ग्रन्थेषु प्रतिपादिता। [चार पुरुषार्थ, चार आश्रम, सोलह संस्कार, स्त्री सम्मान, सदाचार का विचार, धर्मपुराण तथा स्मृति ग्रन्थों में प्रतिपादन किया गया है।]

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प्रश्न 3.

३. रेखांङ्कितपदानाम् आधारेण प्रश्ननिर्माणं कुरुत [ रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाओ ]

(क) श्रावणीपूर्णिमायां संस्कृतिदिवस: आयोज्यते।

उत्तर:- श्रावणी पूर्णिमायां किं आयोज्यते?

(ख) पुरा संस्कृतभाषा जनभाषा आसीत्।

उत्तर:- पुरा संस्कृतभाषा का आसीत्?

(ग) आध्यात्मिकज्ञानेन भारतं जगद्गुरुः आसीत्?

उत्तर:- केन कारणेन भारतं जगद्गुरु आसीत्?

(घ) समस्त-भारतीय-भाषाणां जननी संस्कृतम्।

उत्तर:- केषाम् जननी संस्कृतम्?

(ङ) भारते त्रयोदश संस्कृतविश्वविद्यालयाः सन्ति।

उत्तर:- भारते कति संस्कृत विश्वविद्यालयाः सन्ति?

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४. उचितं मेलनं कुरुत  [ उचित मिलान करें ]

 

(क)                             b    (ख)

(क) वेदा:                              मुत्तूर:

(ख) वेदाङ्गानि                        १९९९-२०००

(ग) दर्शनानि-                         चत्वारः

(घ) उपनिषद:                         षट्

(ङ) पुराणानि                         अष्टादश

(च) संस्कृतवर्षम्                     अष्टोत्तरशतम्

(छ) आदिकविः                        षट्

(ज) संस्कृतग्रामः                      वाल्मीकि

 

उत्तर:- मिलान करें

(क)                               (ख)

(क) वेदा:                              चत्वारः

(ख) वेदाङ्गानि                          षट्

(ग) दर्शनानि-                      अष्टादश

(घ) उपनिषद:                      षट्

(ङ) पुराणानि                      अष्टोत्तरशतम्

(च) संस्कृतवर्षम्                         १९९९-२०००

(छ) आदिकविः                          वाल्मीकि

(ज) संस्कृतग्रामः                        मुत्तूर:

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प्रश्न 5.

उचित शब्द से रिक्त स्थान भरो (संस्कृतभाषायाः, संस्कृतभाषया, संस्कृतभाषाम्, संस्कृतभाषा)

(क) जनाः ……….. वदन्ति।

(ख) ……….. देववाणी कथ्यते।

(ग) ………….. विकासः आवश्यकः अस्ति।

(घ) भारतीयभाषानां उद्गम ………… एव अभवत्।

उत्तर:-

(क) जनाः संस्कृतभाषाम् वदन्ति।

(ख) संस्कृतभाषा देववाणी कथ्यते।

(ग) संस्कृतभाषायाः विकासः आवश्यकः अस्ति।

(घ) भारतीयभाषानां उद्गम संस्कृतभाषया एव अभवत्।

 

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प्रथमः पाठः ⇒ मर्यादापुरुषोत्तमः श्रीरामः

द्वितीयः पाठः ⇒ चतुरः वानरः

तृतीयः पाठः ⇒ बकस्य प्रतिकारः

चतुर्थः पाठः ⇒ चत्वारि धामानि

पञ्चमः पाठः ⇒ गुरुगोविन्द सिंहः

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