bihar board class 9 history chapter 3 solutions | फ्रांस की क्रांति
bihar board class 9 history chapter 3 solutions | फ्रांस की क्रांति France revolutions questions and answer
Class 9th chapter 3 France Revolutions bihar board class 9th history solutions chapter 3
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न
- फ्रांस की राजक्रांति किंस ई० में हुई?
(क) 1776
(ख) 1789
(ग) 1876
(घ) 1832
उत्तर- (ख) 1789
प्रश्न
- बैस्टिल का पतन कब हुआ?
(क) 5 मई 1789
(ख) 20 जून 1789
(ग) 14 जुलाई 1789
(घ) 27 अगस्त 1789
उत्तर- (ग) 14 जुलाई 1789
प्रश्न
- प्रथम एस्टेट में कौन आते थे?
(क) सर्वसाधारण
(ख) किसान
(ग) पादरी
(घ) राजा
उत्तर- (ग) पादरी
प्रश्न
- द्वितीय एस्टेट में कौन आते थे?
(क) पादरी
(ख) राजा
(ग) कुलीन
(घ) मध्यमवर्ग
उत्तर- (ग) कुलीन
प्रश्न
- तृतीय एस्टेट में इनमें से कौन थे?
(क) दार्शनिक
(ख) कुलीन
(ग) पादरी
(घ) न्यायाधीश
उत्तर- (क) दार्शनिक
प्रश्न
- वोल्टेयर क्या था?
(क) वैज्ञानिक
(ख) गणितज्ञ
(ग) लेखक
(घ) शिल्पकार
उत्तर- (ग) लेखक
प्रश्न
- रूसो किस सिद्धान्त का समर्थक था?
(क) समाजवाद
(ख) जनता की इच्छा (General Will)
(ग) शक्ति पृथक्करण
(घ) निरंकुशता
उत्तर- (ख) जनता की इच्छा (General Will)
प्रश्न
- मांटेस्क्यू ने कौन-सी पुस्तक लिखी?
(क) सामाजिक संविदा
(ख) विधि की आत्मा
(ग) दास कैपिटल
(घ) वृहत ज्ञानकोष
उत्तर- (ख) विधि की आत्मा
प्रश्न
- फ्रांस की राजक्रांति के समय वहाँ का राजा कौन था?
(क) नेपोलियन
(ख) लुई XIV.
(ग) लुई XVI
(घ) मिराब्यो
उत्तर-(ग) लुई XVI
प्रश्न
- फ्रांस में स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?
(क) 4 जुलाई
(ख) 14 जुलाई
(ग) 27 अगस्त
(घ) 31 जुलाई
उत्तर- (ख) 14 जुलाई
प्रश्न
॥ रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
प्रश्न
- लुई XVI सन् ………………… ई० में फ्रांस की गद्दी पर बैठा ।
उत्तर- 1774
प्रश्न
- ………………….लुई XVI की पत्नी थी।
उत्तर- मेरी अन्तोयनेत
प्रश्न
- फ्रांस की संसदीय संस्था को ……………….कहते थे।
उत्तर- नेशनल एसेम्बली
प्रश्न
- ठेका पर टैक्स वसूलने वाले पूँजीपतियों को ……………. कहा जाता था।
उत्तर- टैक्स फार्मर
प्रश्न
- ……………… के सिद्धान्त की स्थापना मांटेस्क्यू ने की।
उत्तर- शक्ति पृथक्करण
प्रश्न
- ………………की प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ है।
उत्तर- रूसो
प्रश्न
- 27 अगस्त 1789 को फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने …………………. की घोषणा थी।
उत्तर- मानव और नागरिकों के अधिकार
प्रश्न
- जैकोबिन दल का प्रसिद्ध नेता …………… था।
उत्तर- मैक्समिलियन
प्रश्न
- दास प्रथा का अंतिम रूप से उन्मूलन ………………..ई० में हुआ।
उत्तर- 1848
प्रश्न
- फ्रांसीसी महिलाओं को मतदान का अधिकार सन् ………………. ई० में मिला ।
उत्तर- 1946
प्रश्न
III. लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण क्या थे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण निम्नलिखित थे |
(i) निरंकुश एवं आयेग्य शासन
(ii) संसद की बैठक 175 वर्षों तक नहीं बुलाई गयी।
(iii) अत्यधिक केन्द्रीय कारण की नीति।
(iv) स्वायत्त शासन का अभाव |
(v) मेरी अन्तोयनेत का प्रभाव |
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण निम्नलिखित थे |
(i) मध्यम वर्ग में राजनैतिक अधिकारों के प्रति सजगता ।
(ii) सामाजिक असमानता से असंतोष।
(iii) कृषकों की दयनीय स्थिति।
प्रश्न
- क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के आर्थिक कारण निम्नलिखित थे |
(i) असमान कर प्रणाली।
(ii) भूमिकर, धार्मिक कर एवं अन्य सामन्ती कर का बोझ।
(iii) बेरोजगारी की समस्या।
(iv) गिल्ड की पाबन्दी, प्रान्तीय आयात कर। एवं सामन्ती आयात कर से व्यापारियों में असंतोष ।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर- फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात किया। इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू (Montesquiey), वाल्टेयर (Voltair) और रूसो (Rouseau) थे। मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘विधि की आत्मा’ (The Sprit of Laws) में सरकार के तीन अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अलग-अलग रखने के विषय में बताकर शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का पोषण किया।
प्रश्न
-
‘लेटर्स-डी-कैचेट” से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- राजा या उसका कोई भी आदमी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता था। इसके लिए फ्रांस में बिना अभियोग के गिरफ्तारी वारंट होता था, जिसको लेटर्स-द-कैचेट (Letters-de-cachet) कहते थे।
प्रश्न
- अमेरीका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में लफायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने इंगलैंड के विरुद्ध भाग लिया था, जिसमें वहाँ गणतांत्रिक शासन की स्थापना हुई थी। फ्रांस की जनता के लिए यह प्रेरणा स्रोत का कार्य किया। इससे एक और भी तरह से क्रांति को बल मिला।
प्रश्न
-
‘मानव एवं नागरिकों के अधिकार से’ आप क्या समझते हैं?
उत्तर- किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा का अधिकार ही मानव अधिकार है। नेशनल एसेम्बली के द्वारा फ्रांस में 27 अगस्त 1789 को मानव और नागरिकों के अधिकार को स्वीकार किया। इस घोषणा से प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने और अपनी इच्छानुसार धर्मपालन करने को मान्यता मिली।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति का इंग्लैंड पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- नेपोलियन का विजय अभियान इंगलैंड पर भी हुआ, जबकि इंगलैंड को आगे चलकर उसके पतन का कारण बना। फिर भी इस क्रांति का इतना अधिक असर इंगलैंड में दिखा ही वहाँ की जनता ने भी सामन्तवाद के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया, कैसे?
उत्तर- इटली इस समय कई भागों में बँटा हुआ था। फ्रांस की इस क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की और ‘इटली राज्य’ स्थापित किया। एक साथ मिलकर युद्ध करने से उनमें राष्ट्रीयता की भावना आई और इटली के भावी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ?
उत्तर- इस क्रांति से ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ एवं ‘बन्धुत्व’ की भावना को जर्मनी के लोगों ने अपनाया और आगे चलकर इससे जर्मनी के एकीकरण को बल मिला।
प्रश्न
- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
-
फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के निम्नलिखित कारण थे |
(i) राजनैतिक कारण – फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन व्यवस्था थी। बूर्वों राजवंश के लुई XIV के शासन काल में साम्राज्य की प्रतिष्ठा उच्च शिखर पर थी, लेकिन उसके बाद के शासक आयोग्य सिद्ध हुए। सन् 1774 ई० में लुई XVI गद्दी पर बैठा, जो अत्यधिक निरंकुश, फिजुलखर्च एवं अयोग्य था।
(ii) सामाजिक कारण- अठारहवीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स ( Estates ) अर्थात श्रेणी में बाँटा हुआ था। प्रथम एस्टेट में पादरी ( Clergy ) थे, य द्वितीय स्टेट में कुलीन ( Nobility ) एवं तीसरे स्टेट में अन्य लोग थे। 90 प्रतिशत जनता तीसरे एस्टेट में थी जिनको कोई भी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं था। जबकी कुलीन और पादरी वर्ग के लोगों को विषेश अधिकार थे।
(iii) आर्थिक कारण – विदेशी युद्ध और अपव्यय ने फ्रांस की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल कर दी थी। प्रतिवर्ष आय से अधिक व्यय होता था। इसलिए कर लगाने की प्रथा प्रचलित थी। यह कर व्यवस्था असमानता और पक्षपात के सिद्धान्त पर आधारित थी।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के निम्नलिखित परिणामों थे |
(i) पुरातन व्यवस्था का अन्त – फ्रांस की क्रांति ने वहाँ की पुरातन व्यवस्था (Anceient Regime) को समाप्त कर आधुनिक युग को जन्म दिया, जिसमें ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ तथा ‘बन्धुत्व’ (Liberty, Equality and Fraternity) को प्रोत्साहन मिला।
(ii) धर्मनिरपेक्ष राज्य – इस क्रांति ने राज्य को धर्म से अलग कर धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की। धार्मिक क्षेत्र में बुद्धिवाद का उदयं हुआ और जनता को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी।
(iii) जनतंत्र की स्थापना – फ्रांस की क्रांति ने राजा के दैवी अधिकार के सिद्धान्त को समाप्त किया और जनतंत्र की स्थापना की।
(iv) दास प्रथा का उन्मूलन – इस क्रांति ने फ्रांस में दास प्रथा का उन्मूलन किया। सन् 1794 में कन्वेंशन ने “दास मुक्ति कानून” पारित किया। यद्यपि आगे चलकर इसे नेपोलियन के द्वारा समाप्त कर दिया गया था। सन् 1848 ई० में अंतिम रूप से फ्रांसीसी उपनिवेशों से दास प्रथा का उन्मूलन किया गया था।
(v) सरकार पर शिक्षा का उत्तरदायित्व – फ्रांस में अभी तक चर्च में शिक्षा का प्रबन्ध था। अब इसकी जिम्मेवारी सरकार पर आ गयी। परिणामस्वरूप पेरिस विश्वविद्यालय तथा कई शिक्षण संस्थान एवं शोध संस्थान फ्रांस में खोले गए।
bihar board class 9 history chapter 3 solutions | फ्रांस की क्रांति
प्रश्न
-
फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी, कैसे?
उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति के विषय में यह कहा जाता है कि यह एक मध्यवर्गीय क्रांति थी, जिसमें शिक्षित वर्ग के लोगों ने तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दोषों को पर्दाफाश किया और जनमानस में आक्रोश पैदा किया। फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात किया। इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू (Montesquiey), वाल्टेयर (Voltair) और रूसो (Rouseau) थे। मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘विधि की आत्मा’ (The Sprit of Laws) में सरकार के तीन अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अलग-अलग रखने के विषय में बताकर शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का पोषण किया।
प्रश्न
-
फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का क्या योगदान था ?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का योगदान निम्नलिखित है |
(i) मांटेस्क्यू – (1689-1755) – यह उदार विचारों वाला दार्शनिक थे। यद्यपि वह स्वंम कुलीन वंशी थे परन्तु राजा और चर्च घोर विरोधि थे। उसने कहा कि ‘यदि शासक उचित रूप से अपने उत्तरदायित्वों का पालन नहीं कर सके तो उसे क्रांति कर द्वारा नष्ट करने का अधिकार समाज को प्राप्त होना चाहिए। इनका सबसे बड़ा देन शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत है।
(ii) वाल्टेयर – 1694-1778) मोटेस्क्यू के समान वाल्टेयर मे भी अपने लेखों और पुसकों में राज्य और चर्च की कड़ी आलोचना की। उसका मानना था की सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंहका का शासन उत्तम है।
(iii) ज्याँ जाक रूसो – (1712-1778) – रूसो फ्रांस का सबसे बड़ा दार्शनिक था और लोकतंत्रात्मक शासन-व्यवस्था का समर्थक था। उसका कहना था, मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है, पर वह हर जगह जंजीरों से जकड़ा है। रूसो के क्रांतिकारी विचारों मे फ्रांस में क्रांति के विस्फोट के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर दी।
bihar board class 9 history chapter 3 solutions | फ्रांस की क्रांति question no 5
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति की देनों का उल्लेख करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के निम्नलिखित देन थे |
1. पुरातन व्यवस्था का अंत
2. धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना
3. जनतंत्र की स्थापना
4. व्यक्ति की महत्ता की स्वीकृति
5. समाजवाद का प्रारम्भ
6. वाणिज्य व्यापार में वृद्धि
7. दास प्रथा का उन्मूलन
8. सरकार पर शिक्षा का उत्तरदायित्व
9. राष्ट्रीय कलेंडर की शुरूआत 10. महिला आन्दोलन
व्यक्ति की महत्ता :- फ्रांस के नेशनल एसेम्बली ने पहली बार व्यक्ति के महत्ता पर बल दिया। नागरिकों के मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की घोषणा की गयी।
समाजवाद का प्रारम्भ :- फ्रांस की क्रांति ने समाजवादी प्रवृत्तियों को भी बल दिया। जैकोबिन्स ने सामान्य जनता के अधिकारों की रक्षा की एवं अमीरों की जगह गरीबों का पक्ष लिया। उनके राजनैतिक अधिकारों की घोषणा भी की गयी।
वाणिज्य व्यापार में वृद्धि : क्रांति के फलस्वरूप 10. महिला आन्दोलन गिल्ड प्रथा, प्रान्तीय आयात कर तथा अन्य व्यापारिक प्रतिबन्ध व्यापारियों पर से हटा दिए गए, जिससे वाणिज्य एवं व्यापार का विकास हुआ। यही कारण था कि उन्नीसवीं शताब्दी में व्यापार के क्षेत्र में फ्रांस इंगलैंड के बाद द्वितीय स्थान पर था।
दास प्रथा का उन्मूलन :- इस क्रांति ने फ्रांस में दास प्रथा का उन्मूलन किया। सन् 1794 में कन्वेंशन ने “दास मुक्ति कानून” पारित किया। यद्यपि आगे चलकर इसे नेपोलियन के द्वारा समाप्त कर दिया गया था। सन् 1848 ई० में अंतिम रूप से फ्रांसीसी उपनिवेशों से दास प्रथा का उन्मूलन किया गया।
राष्ट्रीय कलेंडर :- फ्रांस में एक नया राष्ट्रीय कलेंडर लागू किया गया, जिसको ऋतुओं के आधार पर बारह महीनों में बाँटा गया और उनका नया नाम ब्रुमेयर, थर्मिडार आदि रखा गया।
महिला आन्दोलन :- फ्रांस के समाज में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से फ्रांस की क्रांति में महिलाएँ भी शामिल हुयीं थीं। इन्होंने “द सोसायटी ऑफ रिवलूशनरी एण्ड रिपब्लिकन ‘वीमेन’ नामक संस्था का गठन किया, जिसमें ओलम्प दे गूज नामक नेत्री की अहम् भूमिका थी। इनके नेतृत्व में महिलाओं को पुरुषों के समान राजनैतिक अधिकार की मांग को स्वीकार कर लिया गया |
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति ने यूरोपीय देशों को किस तरह प्रभावित किया।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति का प्रभाव सिर्फ फ्रांस पर ही नहीं बल्कि यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा। नेपोलियन फ्रांस में सुधार के कार्यों को करते हुए अपने विजय अभियान के दौरान जब इटली और जर्मनी आदि देशों में पहुँचा, तब उसे वहाँ की जनता भी ‘क्रांति का अग्रदूत’ कहकर स्वागत किया। उसने इन देशों के नागरिकों को राष्ट्रीयता का संदेश देने का कार्य किया।
जर्मनी पर प्रभाव :- जर्मनी भी उस समय छोटे-छोटे 300 राज्यों में विभक्त था, जो नेपोलियन के प्रयास से 38 राज्यों में सीमित हो गया। इस क्रांति के ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ एवं ‘बन्धुत्व’ की भावना को जर्मनी के लोगों ने अपनाया और आगे चलकर इससे जर्मनी के एकीकरण को बल मिला।
प्रोलैंड पर प्रभाव :- पहले यह रूस, प्रशा और आस्ट्रिया के बीच बँटा हुआ था। यद्यपि, पोलैंड को शीघ्र आजादी नहीं मिली, लेकिन उनमें राष्ट्रीयता का संचार इसी क्रांति ने किया। एक लम्बी अवधि के प्रयास के फलस्वरूप प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पोलैंड का स्वतंत्र राज्य कायम हो सका।
इंगलैंड पर प्रभाव:- इस क्रांति का इतना अधिक असर इंगलैंड में दिखा ही वहाँ की जनता ने भी सामन्तवाद के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। फलस्वरूप, सन् 1832 ई० में इंगलैंड में ‘संसदीय सुधार अधिनियम’ पारित हुआ, जिसके द्वारा वहाँ के जमींदारों की शक्ति समाप्त कर दी गयी । और जनता के लिए अनेक सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ। भविष्य में, इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति के विकास में इस क्रांति का बहुत अधिक योगदान था।
इटली पर प्रभाव:- इटली इस समय कई भागों में बँटा हुआ था। फ्रांस की इस क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की और ‘इटली राज्य’ स्थापित किया। एक साथ मिलकर युद्ध करने से उनमें राष्ट्रीयता की भावना आई और इटली के भावी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रश्न
-
‘फ्रांस की क्रांति एक युगान्तरकारी घटना थी’ इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति यूरोप के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी, जिसने एक युग का अन्त और दूसरे युग के आगमन का मार्ग प्रशस्त किया। इस क्रांति ने फ्रांस में राजतंत्र को समाप्त कर सामाजिक व्यवस्था के नये विचारों-‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ एवं ‘बन्धुत्व’, तथा मानव अधिकार के नये सिद्धान्तों-‘आदमी स्वतंत्र पैदा होता है’, को प्रतिष्ठापित किया और यूरोप की पुरानी रीतियों तथा संस्थाओं को चुनौती दी। इस तरह के विचार-स्वातंत्र्य का प्रादुर्भाव यूरोप में पुनर्जागरण के परिणाम स्वरूप हुआ था, जिसने यूरोप में कई राष्ट्रवादी क्रांतियों को जन्म दिया। ये क्रांतियाँ सामन्तवादी एवं निरंकुश शासन व्यवस्था तथा शोषण करने वाली सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ थीं।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति के लिए लुई XVI किस तरह उत्तरदायी था?
उत्तर- फांस की क्रांति के समय वहाँ बूर्बो राजवंश, का शासक लूई – xvi था, जो 20 वर्ष की आयु में 1774 में फ्रांस की गद्दी पर बैठा। यह निरंकुश, फिजूलखर्च एवं अयोग्य था, उस पर मेरी अन्तोयनेत का गहरा प्रभाव था। यह यह भी फिजूलखर्च के लिए विख्यात थी। इस तरह असंतोषजनक एवं अन्यायपूर्ण वातावरण में देश का विकास अवरुद्ध होने के साथ-साथ सरकारी फिजुलखर्ची, जो लुई-XVI एवं मेरी अन्तोयनेत अपने ऐश-आराम एवं भोग-विलास की वस्तुओं पर करते थे, ने राजकोष को प्रभावित किया। ऐसी स्थिति में सरकार मितव्ययिता से काम लेने की जगह कर्ज लेने और कर लगाने पर ज्यादा केंद्रित थी। इन्ही कारणो से फ्रांस में क्रांति की शुरुआत हुई ।
प्रश्न
- फ्रांस की क्रांति में जैकोबिन दल की क्या भूमिका थी ?
उत्तर- जैकोबिन क्लब पेरिस के भूतपूर्व कान्वेंट ऑफ सेंट जेकब के नाम पर रखा गया था, जिसका नेता मैक्समिलियन रॉब्सपियर था । जिसमें छोटे दुकानदार, कारीगर, घड़ीसाज, नौकर एवं दिहाड़ी मजदूर आदि जैकोबिन क्लब के सदस्य थे । रॉब्सपियर वामपंथी विचारधारा का समर्थक था । अतः खाद्य पदार्थों की महँगाई एवं अभाव से नाराज होकर उसने हिंसक विद्रोह की शुरूआत की, और आतंक का राज्य स्थापित किया चौदह महीनों में लगभग सतरह हजार व्यक्तियों पर मुकदमें चलाये गए और उन्हें फाँसी दे दी गयी। रॉब्सपियर ने सर्वोच्च सत्ता की प्रतिष्ठा के रूप में स्थापित किया । परन्तु ये अस्थाई सिद्ध हुए । उसकी हिंसात्मक कार्रवाइयों की वजह से विशेष न्यायालय ने जुलाई 1794 में उसे मृत्युदंड दिया । उसके बाद सन् 1795 ई० में नया संविधान बनाया गया, जिसने फ्रांस में गणतांत्रिक शासन की शुरूआत की।
प्रश्न
- नेशनल एसेम्बली और नेशनल कन्वेंशन ने फ्रांस के लिए कौन-कौन से सुधार पारित किए।
उत्तर- 21 सितम्बर 1792 को नव निर्वाचित एसेम्बली को कन्वेंशन नाम दिया गया तथा राजा की सत्ता को समाप्त कर दिया गया देश द्रोह के अपराध में लुई XVI पर मुकदमा चलाया गया और 21 जनवरी 1793 को उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया । बाद में मेरी अन्तोयनेत को भी फाँसी दे दी गयी । कन्वेंशन द्वारा राष्ट्र की एकमात्र भाषा फ्रेंच घोषित की गयी । कानूनों का संकलन कराया गया, उपनिवेशों में गुलाम बनाकर भेजने की प्रथा समाप्त की गयी, प्रथम पुत्र को ही उत्तराधिकार बनाने की प्रथा को समाप्त किया गया । राष्ट्र का नया कलेण्डर (22 सितम्बर 1792) लागू किया गया ।
bihar board class 9 history chapter 2 solutions
Hello sir padhne ki taiyari karni hai sir muj 10 me 80%marks lana hai sir aapmujhe madad Kijiye Mujhe Patna hai
Hello sir padhne ki taiyari karni hai sir muj 10 me 80%marks lana hai sir aap mujhe madad Kijiye Mujhe Padhna hai