Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

जनन (Reproduction)

जनन(Reproduction) जीव में वृद्धि जिस प्रक्रम द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते है, उसे जनन कहते है। किसी भी जीव के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जनन की आवश्यकता है।

जनक (Parents) – जनन की क्रिया में भाग लेने वाले को जनक कहते है।

संतान (Children)- जनन की क्रिया के फलस्वरूप जिसका निर्माण जन्म होता है, उसे संतान कहते है।

जनन की क्रिया दो चरणों में सम्पन्न होती है-

1. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)

2. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)

1. अलैंगिक जनन(Asexual Reproduction)- जनन की वैसी प्रक्रिया जिसमें केवल एक जीव भाग लेकर नए जीव का निर्माण करता है, उसे अलैंगिक जनन कहते है।

जैसे- एककोशिकीय जीव (अमीबा, पैरामिशियम) ।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

अलैंगिक जनन के गुणों को लिखें।

उत्तर- अलैंगिक जनन के गुण निम्मंलिखित हैं-

(i) इसमें सिर्फ एक जनक भाग लेते है।

(ii) इसमें शुक्राणु और अंडाणु भाग नही लेते हैं।

(iii) इसमें निषेचन नहीं होता है।

(iv) इसमें उत्पन्न संतान अनुवांशिक रूप से जनक के समान होता है।

(v) इस प्रकार के जनन में या तो समसूत्री कोशिका विभाजन या अर्द्धसमसूत्री कोशिका विभाजन होता है।

(vi) इस प्रकार के जनन से ज्यादा संख्या में एवं जल्दी से जीव संतानो की उत्पत्ति कर सकते हैं।

अलैंगिक जनन के प्रकार- अलैंगिक जनन की प्रमुख विधियाँ / प्रकार निम्नलिखत है-

(i) विखंडन (Fission)- विखंडन प्रजनन की वह प्रक्रिया है जिसमें जन्तु स्वतः विभाजित होकर दो दो से अधिक अनुजात बन जाता है।” यह अल्प विकसित जन्तुओं में निम्न प्रकार से संपन्न हो सकता है-

विखंडन की क्रिया दो चरणों में सम्पन्न होती है-

(a) द्विविखंडन (Binary fission)
(b) बहुखंडन (Multiple fission)

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

(a) द्विविखंडन (Binary fission)- “द्विविखंडन अलैंगिक प्रजनन की वह प्रक्रिया है जिसमें जन्तु स्वतः विभाजित होकर दो अनुजात बनाता है।” यह प्रजनन उन अल्प विकसित जन्तुओं में होता है जिनका शरीर सिर्फ एक ही कोशिका का बना होता है, जैसे-अमीबा, पारामीशियम, यूग्लिना आदि। जन्तु का विभाजन, जन्तु के शरीर के भिन्न अक्ष पर हो सकता है, जैसे-

(क) अमीबा आकारहीन (shapeless) होता है। अतः अमीबा में द्विविखंडन किसी भी अक्ष (axis) पर हो सकता है। इस प्रकार के द्विविखंडन को साधारण द्विविखंडन (Simple Binary fission) कहते हैं। द्विविखंडन की इस संपूर्ण प्रक्रिया में सबसे पहले केंद्रक दो भागों में बँट जाता है। केंद्रक के दो भागों में विभक्त होने के बाद कोशिका झिल्ली एवं जीवद्रव्य में विभाजन होता है। फलतः दो अनुजात सदस्य बनते हैं।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं
                 अमीबा मे द्वीविखंडन

(ख) पारामीशियम, एक हवाई चप्पल (slipper) के आकार का जन्तु है। इस जन्तु में द्विविखंडन, जन्तु के अनुप्रस्थ अक्ष (Transverse axis) पर होता है। इस द्विविखंडन को अनुप्रस्थ द्विविखंडन (Transverse Binary fission) कहते हैं।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं
         पैरामीशियम मे अनुप्रस्थ द्विविखंडन

(ग) यूग्लिना एक ऐसा एककोशिकीय जन्तु है जिसमें पादप के तरह प्रकाश-संश्लेषण होता है। इस जन्तु में द्विविखंडन, जन्तु के शरीर के अनुदैर्ध्य अक्ष पर होता है। इसी कारण इसे अनुदैर्ध्य (Longitudinal) द्विविखंडन कहते हैं।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं
             युग्लीना मे अनुधैर्य द्विविखंडन

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

(b) बहुविखंडन (Multiple fission)- “बहुविखंडन एक कोशिकीय जन्तुओं में होनेवाला वह विखंडन है जिसमें जन्तु एक साथ कई टुकड़ों में बँट जाता है।” सबसे पहले जन्तु कोशिका का केंद्रक कई टुकड़ों में बँट जाता है। केंद्रक के हर टुकड़े के चारों तरफ कुछ जीवद्रव्य जमा हो जाता है। प्रत्येक टूटे हुए केंद्रक एवं उसके चारों तरफ जमा जीवद्रव्य के चारों तरफ कोशिका झिल्ली बन जाती है। इन कई अनुजात (daughter) सदस्यों के बन जाने के बाद संपूर्ण जीव के चारों तरफ, विखंडन के पहले से उपस्थित, कोशिका झिल्ली टूट जाता है और सभी अनुजात बिखर कर अलग-अलग जीवनयापन करते हैं। उदाहरण अमीबा, मनुष्य में मलेरिया रोग पैदा करने वाला परजीवी। जंतुओं में बहुविखंडन (multiple fission) सामान्यतः प्रतिकूल परिस्थितियों में होता है, जैसे- तालाब के पानी का तापक्रम बहुत कम या बहुत अधिक हो जाना, प्रतिकूल अवस्था से सुरक्षा के लिए जन्तु, अपने चारों तरफ एक आवरण भी बना लेता है। आवरण को cyst एवं आवरण बनने को encystment कहते हैं। आवरण के अन्दर बहुविखंडन हो जाने के बाद, आवरण अनुकूल वातावरण में टूट जाता है और सभी अनुजात बिखर जाते हैं। कभी-कभी आवरण के साथ बहुविखंडीत अवस्था में, जन्तु का बिखराव (dispersal) एक तालाब से दूसरे तालाब में भी हो जाता है।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं
                   अमीबा मे बहुविखंडन

(ii) पुनरुज्जीवन (Regeneration)- “लगभग सभी अल्पविकसित जन्तुओं में यहाँ तक कि कुछ अधिक विकसित जन्तुओं [जैसे मनुष्य के यकृत (liver)] में भी किसी तरह खोये हुए भाग को स्वतः पुनरुजीवित करने की क्षमता पायी जाती है।”

पुनरुज्जीवन से कभी-कभी दो अनुजात जीवों का जन्म भी हो सकता है परंतु पुनरुज्जीवन प्रजनन की सामान्य प्रक्रिया नहीं हो सकती है।

Bihar Board Class 10th Biology Notes in Hindi

(iii) मुकुलन (Budding)“मुकुलन अल्पविकसित (एक कोशिकीय या बहुकोशिकीय) जन्तुओं में होने वाली प्रजनन की वह प्रक्रिया है जिसमें जन्तु अपने शरीर में एक या अनेक अपने समान रचना मुकुल (bud) बना लेता है जो अलग होकर एक अनुजात हो जाता है।”

मुकुलन कई जन्तुओं में होता है, जैसे- स्पंज, हाइड्रा आदि। कुछ स्पंज में आंतरिक मुकुल भी बनते हैं, जिन्हें जीम्यूल (gemmule) कहते हैं, अनुकूल अवस्था में बनते हैं। स्पंज के शरीर के विखंडन (disintegration) के बाद इन जीम्यूल बंडीत (gemmule) का विखराव (dispersal) हो जाता है। स्पंज को दूसरे छोड़कर शेष सभी जन्तु में बाह्य मुकुलन होता है। जन्तु शरीर के विशेष भाग में एक या एक से अधिक मुकुल बनने के लिए अपवृद्धि (outgrowth) होती है। यह अपवृद्धि, अनुकूल अवस्था में बनता है एवं धीरे-धीरे वृद्धि करके पूर्ण जन्तु बन जाता है। पूर्ण वृद्धि करने के बाद अपवृद्धि एक मुकुल (bud) बनाता है। यह मुकुल अलग होकर एक अनुजात जीव बनाता है। कई जीव में एक समय में एक से अधिक मुकुल द्वारा कई अनुजात जीव भी बन जाते हैं। कई जीवों में कई मुकुल मूल शरीर से लगे होते हैं, अलग नहीं होते हैं। फलतः एक ही स्थान पर एक बस्ती (colony) बना लेते हैं, जैसे- स्पंज, कोरल आदि।

 

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं
                  स्पंज में आन्तरिक मुकुलन
Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं
                   हाइड्रा में बाह्य मुकुलन

(iii) अपखंडन (Fragmentation)- खडन जब कोई जनक का शरीर दो हिस्से में टूट जाने और दोनों हिस्से अपना स्वतंत्र जीवन व्यतीत करने लगे तो उसे अपखंडन कहते है

Bihar Board Class 10th Biology Notes in Hindi

(iv) कायिक जनन (Vegetative Reproduction) – अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमें पौधो का जड़, तना,  पत्ती के माध्यम से नया पौधा विकास किया जाता है, कामिक जनन कहलाता है।

जैसे- गुलाब, पत्थरचट्टा (ब्रोयोफिलम)।

(vi) बीजाणु जनन (Spore Reproduction)- ऐसा अलैंगिक जनन जिसमें पौधों में अनेक बीजाणु उत्पन्न होते है जो उचित परिस्थिति पर जनक के शरीर से अलग होकर नये पौधों का निर्माण करते है।

उदाहरण- राइजोपस।

2. लैंगिक जनन(Sexual Reproduction)- जनन की वैसी प्रक्रिया जिसमें दो विपरीत जीव आपस में भाग लेकर नए जीव का निर्माण करता है, उसे लैंगिक जनन कहते है।

जैसे- मानव, स्तनधारी ।

लैंगिक जनन के गुणों को लिखें।

उत्तर- लैंगिक जनन के गुण निम्मलिखित हैं-

(i) इसमें शुक्राणु तथा अंडाणु भाग लेते हैं।

(ii) इसमें निषेचन की क्रिया होती है।

(iii) इसमें उत्पन्न संतान अनुवांशिक (genitive) रूप से जनक के समान होते है।

(iv) यह जटिल प्रक्रिया होती है।

(v) इसमें युग्मक का निर्माण होता है।

(vi) इसमें दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते है।

(IMAGE)

युग्मक (Gametes)- युग्मक एक प्रकार की जनन कोशिका है। इसका निर्माण युग्मक जनन की क्रिया में कोशिका विभाजन के फलस्वरूप होता है। पुरुषों की जनन कोशिका को शुक्राणु तथा स्त्रियों की जनन कोशिका को अंडाणु कहते हैं।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

युग्मक दो प्रकार के होते है

(i) जर युग्गक (शुक्राणु )

(ii) मादा युग्मक (अंडाणु)

Note- पेड़-पौधों में नर गुमाक को परागकण कहा जाता है ।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

शुक्राणु और अंडाणु में अंतर लिखें।

उत्तर- शुक्राणु और अंडाणु में अंतर निम्मलिखित हैं-

शुक्राणु

 

अंडाणु

 

(i) शुक्राणु का निर्माण वृषण में होता है।

(ii) इसे बनने में अपेक्षाकृत कम समय लगता है।

 

(iii) इसका आकार छोटा होता है।

(iv) यह चलनशील होता है।

 

(i) अंडाणु का निर्माण अंडाशय में होता है।

(ii) इसे बनने में शुक्राणु के अपेक्षा ज्यादा समय लगता है।

(iii) इसका आकार बड़ा होता है।

(iv) यह स्थिर होता है।

 

 

संलयन किसे कहते है?

उत्तर- नर युग्मक और मांदा युग्मक के मिलने की क्रिया को संलयन कहते है।

युग्मनज या जाईगोट क्या है?

उत्तर-  जब नर युग्मक और मादा युग्मक संलयित होने के फलस्वरूप जिस संरचना का निर्माण करते है, उसे युग्मनज या जाईगोट कहते है।

निषेचन क्या है? यह कितने चरणों में सम्पन्न होता है?

उत्तर-  नर एवं गादा युग्मक का संलगन, निषेचन कहलाता है। निषेचन का अर्थ गर्भधारण होता है। निषेचन की क्रिया दो चरणों में संपन्न होती है।

(a) अंतः निषेचन (Inter Fertilization)- निषेचन की वैसी प्रक्रिया जिसमें नर एवं मादा युग्मक का संलयन मादा शरीर के भीतर संपन्न होता है, जिसे अतः निषेचन कहा जाता है। जैसे- मानव, स्तनधारी आदि ।

(b) बाह्य निषेचन (External Fertilization) – निषेचन की वैसी प्रक्रिया जिसमें नर एवं मादा युग्मक का संलयन मादा शरीर के बाहर संपन्न होता है, जिसे बाह्य निषेचन कहा जाता है। जैसे- मेंढक, मछली, मच्छर, शैवाल आदि।

(image)

एकलिंगी (Single-sex)- वे जीव जिनमें नर और मादा स्पाप्ट रूप से अलग-अलग हो उन्हे एकशिंगी जीप कहते हैं, अर्थात वैसा जीव जिसमें एक जनन अंग पाया जाये उसे एक लिंगी जिए कहते है। उदाहरण मनुष्य, बन्दर, कुत्ता

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

Note- नर युग्मक (शुक्राणु) का निर्माण हो रहा हो तो को- नर

Note- मादा युग्मक (अंडाणु) का निर्माण हो रहा हो तो- मादा

उभयलिंगी (Bisexual)- जिन जीवों में नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं, उन्हें उभयलिंगी कहते है।

अर्थात, वैसा जीव जिसमें जनन अंग पाया जाये, उसे द्विलिंग / उभयलिंगी कहते है।

जैस- केचुआ, सरसों गुडहल, कृमि।

पौधों में लैंगिक जनन (Sexual reproduction in plants)

पुष्पीय पादप (Flowering Plants)- जिस पौधों में फुल उगता है, उसे पुष्पीय पादप कहते हैं।

पुष्प की संरचना (Structure of flower) –

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

बाह्य दल (Outsider)- बाह्य दल, पुष्प का सबसे बाहरी चक्र होता है। इनकी संरचना हरे रंग की छोटी पत्तीनुमा होती है, जिन्हें बाह्य दल (Sepals) के नाम से जाना जाता है। जब ये संयुक्त होते है, तो इन्हें बाह्यदलपुंज कहा जाता हैं। यह सहायक अंग होते है।

(image)

कार्य- बाह्य दल के वर्षा तथा धूप से पुष्प की सुरक्षा करना।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

2.दल चक्र (Part Chakra)- दल चक्र, पुष्प का दूसरा चक्र कहलाता है जो बाह्य दलपुंज के अंदर स्थित होता है। बाहा दल चक्र के अंदर या ऊपर रंगीन पत्रों का एक चक्र होता है तथा इन रंगीन पत्रों को दल पत्र कहते हैं। प्रायः 2-6 दलों का बना होता है। यह परागण हेतु कीटों को आकर्षित करता है।

कार्य- दल के रंगीन होने के कारण कीटों को आकर्षित कर परागण में सहायता करते हैं।

3. पुमंग / जयांग (नर जनन भाग)- पुंकेसर पुष्प का वास्तविक नर जनन भाग होता है। यह पुष्प का तीसरा चक्र है जो नर अंगों का बना हुआ होता है। इसमें बहुत लम्बी – लम्बी रचनाएँ पायी जाती हैं, जिनको पुंकेसर कहा जाता हैं।

(Image)

Note- पुमंग के इकाई (एक) भाग को पुंकेसर कहते है।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

Note- पुंकेसर के समूह को पुमंग कहते है।

पुंकेसर में एक द्विपालिक रचना होती है उसे परागकोश कहा जाता है परागकोश पतले, लचीले तंतु के सिरे पर स्थित रहता है। परागकोश ‘में परागकणों की उत्पति होती है।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

जायांग या स्त्रिकेसर (zygote or striator)- जायांग के तीन भाग होते है

(i) वर्तिकाग्र (Stigma)

(ii) वर्तिका (Stylistics)

(ii) बीजाण्ड (Ovule)

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

Note- बीजाण्ड में भ्रूणकोष होता है और भ्रूणकोष के अंदरअंडाणु उपस्थित रहता है।

परागण (Pollination)- परागकोश से परागकण निकलकर वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया परागण कहलाता है।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf | जीव जनन कैसे करते हैं

परागण के दो प्रकार होते है-

(i) स्वपरागण (Self- pollination)

(ii) पर परागण (Cross – pollination)

(i) स्वपरागण(Self- pollination)- स्वपरागण में एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प अथवा उसी पौधों के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते है।

(ii) पर परागण(Cross – pollination)- इस क्रिया में एक पुष्प के परागकण के पर्तिकाग्र उसी जाति के दूसरे पौधों के पुष्प पर पहुँचते है।

रासायनिक अनुवर्तन क्या है?

उत्तर- परागनलीका में परागकणों की जो गति होती है ,उसे रासायनिक अनुवर्तन कहते है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

मानव जनन तंत्र (Human Reproductive System)

→ मानव एक लिंगी प्राणी होते है।

पुरुष यौवनारंभ से आप क्या समझते है?

उत्तर- जब नर का जनन अंग कार्य करना शुरू कर देता है, जिसे पुरुष यौवनारंभ कहा जाता है। सभी बालक वर्ग जनन अंग 12-13 वर्ष की अवस्था में कार्य करना शुरू कर देता है,  जिसे पुरुष यौवनारंभ कहा जाता है। पुरुष के वृषण से टेस्टेस्टेरॉन हार्मोन का श्राव होता है। जो लैंगिक कार्य को दर्शाता है।

जैसे-

(i) आवाज में भारीपन

(ii) कंधा का चौड़ा होना

(iii) शरीर सुडॉल एवं ताकतवर

(iv) दाढ़ी मूछ आना

(v) जनन अंग के समीप बाल आना

स्त्री यौवनारंग से आप क्या समझते है?

उत्तर- जब मादा के शरीर का जनन अंग कार्य करना शुरू कर देता है तो उसे स्त्री यौवनारंभ कहा ‘जाता है। सभी बालिका वर्ग का जनन अंग 12-13 वर्ष की अवस्था में कार्य करना शुरू कर देता है, मादा के अंडाशय भाग से स्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का स्त्राव होता है जो लैंगिक कार्य को दर्शाता है।

जैसे-

(i) आवाज में मधुरता

(ii) स्तन का विकास

(iii) नितंब का चौड़ा होना

(iv) मासिक चक्र प्रारंभ होना

(v) जनन अंग के समीप बाल आना

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन करे।

उत्तर- प्रजनन तंत्र के अंतर्गत कई अंग शामिल होते है,  जिनमे से प्रमुख  निम्नलिखित है-

(i) वृषण (Testis) – एक जोड़ा वृषण, मनुष्य में, उदर के बाहर अंडकोश के थैली (scrotum) में अवस्थित रहता है। कुछ स्तनपायी में यह थैली दो होती हैं परंतु मनुष्य में सिर्फ एक ही थैली होती है। उसी थैली में दोनों वृषण अवस्थित रहता है। वृषण, गर्भावस्था में ही विकास कर जाता है। वृषण, शिशु के जन्म के आस-पास उदर से बाहर चला जाता है और अंडकोश थैले में अवस्थित हो जाता है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(ii) सेमिनीफेरस नलियाँ (Seminiferous tubuls)- सेमिनीफेरस नलियाँ, वृषण में पायी जाती हैं और इन्हीं नलियों में शुक्राणु का निर्माण होता है। दो सेमिनीफेरस नलियों के बीच की कोशिका से स्राव (Testosteron) पैदा होता है जो मनुष्य का लैंगिक गुण नियंत्रित करता है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(iii) नलियों का जाल (Network of tubes)- सेमिनीफेरस नलियाँ, वृषण के एक तल पर, एक दूसरे से संयुक्त होकर वृषण से बाहर निकलती है और एक संयुक्त नली के रूप में पुनः उदर में प्रवेश करती है। यह नली उदर में दूसरे वृषण के नली से संयुक्त होता है साथ ही साथ पेशाब थैली (urinary bladder) से निकलने वाली मूत्रमार्ग (ureter) से भी संयुक्त होता है और एक संयुक्त नरमूत्र-जनन नली (male urinogenital duct) के रूप में शिश्न (Penis) से होता हुआ शिश्न के अग्रभाग (Tip) पर नर मूत्र जनन छिद्र (male urinogenital aperture) द्वारा खुल जाता है।

(iv) ग्रंथियाँ (Glands)- प्रजनन को आसान करने के लिए नर जनन अंग से कुछ ग्रंथियाँ संबंधित रहती है।

(a) एपिडीडाएमीस (Epididymis)- एपिडीडाएमीस नामक ग्रंथि, वृषण के एक तरफ रहता है। यह वास्तव में वृषण से निकलने वाले नलियों के जाल से बनता है। इस ग्रंथि में शुक्राणु, वृषण के से निकलकर, 2-3 महीने तक संग्रहित होते हैं। इस ग्रंथि में कुछ शुक्राणु में कुछ सक्रियता भी आ जाती है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(b)सेमिनल थैली (Seminal vesicle)- सेमिनल थैली नर जनन है। तंत्र की महत्त्वपूर्ण ग्रंथि है जो पेशाब थैली के पीछे रहता है और के नलियों से बाहर जाते हुए शुक्राणु में अपने स्त्राव को मिला देता कोश है। इस ग्रंथि का स्राव शुक्राणु को पोषण देता है और मैथुन के समय शुक्राणु को बाहर निकलने में गति भी देता है। शुक्राणु एवं सेमिनल थैला दोनों के संयुक्त स्त्राव को वीर्य (semen) कहते हैं।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(c) प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland)- प्रोस्टेट ग्रंथि शिश्न  के आधार  पर पाये जाने वाली ग्रंथि है जो आपने स्त्राव से शुक्राणु को बाहर निकलने में मदद करता है और संपूर्ण वीर्य को क्षारीय बनाता है जिससे वीर्य आसानी से मादा के जननांग में गति कर सके।

(v) शिश्न (Penis)- शिश्न संभोग के समय शुक्राणु निकलने की एवं सामान्य अवस्था में पेशाब निकालने की संरचना है।

(vi) शुक्राणु (Spermatozoan)- शुक्राणु नर जनन कोशिका (Sex cell) है जिसमें एक सामान्य जन्तु कोशिका की रचनायें रूपान्तरित हो जाती हैं और गतिशील शुक्राणु बनाती हैं, जैसे- एक गॉल्गी के रूपान्तरण से अग्रभाग (Acrosome) बनता है। ताराकाय केंद्रक के पीछे अवस्थित रहता है। शुक्राणु में एक लंबी पूँछ भी पायी जाती है। शुक्राणु का अग्रभाग ही अपने जाति के अंडाणु को पहचानता है और निषेचन करता है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(vii) अधिवृषण- शुक्राणु के संग्रह स्थान को  अधिवृषण कहा जाता है ।

(viii) शुक्राशय– यह चिपचिपा पदार्थ को स्त्रावित करता है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

मादा जनन तंत्र का सचित्र वर्णन करे।

उत्तर- मादा का जनन अंग नर के जनन अंग से काफी जटिल संरचना होती है।

(i) अंडाशय (Ovary) – प्रत्येक औरत में एक जोड़ी अंडाशय, उदर के पश्च भाग में पाया जाता है। अंडाशय में कई फॉलिक्लस् (follicles) पाये जाते हैं। फालिक्लस्, कोशिकाओं का समूह है जिसमें डिम्ब (ovum) का विकास होता है। फालिक्लस् के बीच उपस्थित स्ट्रोमा कोशिकाओं से एस्ट्रोजेन (estrogen) नामक स्राव पैदा होता है जो औरतों के शरीर में औरत के विशेष गुणों को नियंत्रित करता है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(ii) नलियाँ (Tubes)- औरतों में दो डिम्बवाही नलियाँ (fallopian tubes) पायी जाती हैं। दोनों डिम्बवाही नलियों (fallopian tubes) के दूरस्थ छोर पर अंडाशय (ovary) अवस्थित रहते हैं। दोनों डिम्बवाही नलियाँ बीच में एक दूसरे से संयुक्त होकर गर्भाशय (uterus) बनाते हैं। मादा का निषेचन क्रिया इसी में सम्पन्न होता है। फैलोपियन नलिका का एक शिरा नगर्भाशय के दिवार से जुड़ता है, जबकि दुसरा शिरा अंडाशय के बगल में अंगुलीनुमा संरचना बनाती है जिसे भालर कहते है इसका प्रमुख कार्य अंडाणु को पकड़ना है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(iii) गर्भाशय (Uterus)- औरतों के शरीर में पाये जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण रचना है जो काफी लचीले दीवार की बनी होती  है। इसका नीचला भाग संकरा होती है। यह गर्भाशय के पीछे की तरफ योनि (vagina) में खुलता है। गर्भाशय एवं योनि के संधि स्थल को ग्रीवा (cervix) कहते हैं। गर्भाशय पीछे की तरफ योनिमुख (vulva) से बाहर खुलता है। है। इसके बीचों-बीच एक छोटा छिद्र होता है उसी के सहारे शुक्राणु प्रवेश करती है। इसे बच्चेदानी भी कहा जाता है ।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

Note(i)- फैलोपियन नलिका की लम्बाई – 10 cm होता है ।

         (ii)- मादा में निषेचन की क्रिया फैलोपियन नलिका में संपन्न होती है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

(iv) योनि(Vagina)- यह मांसल नलिकाकार संरचना होती है जिसकी औसत लम्बाई 7-10 cm होती है। योनी का दिवार पेशीय उत्तक का बना होता है। जिसपर छोटी-छोटी ग्रंथिया होती है जिसे बाल्बोरियल ग्रंथि कहा जाता है। इससे चिपचिपा पदार्थ स्त्रावित, होता है जो योनि को मुलायम रखता है।

निषेचन की प्रक्रिया- नर एवं मादा आपस में संभोग करनेके समय शुक्राणु योनि मार्ग में स्थापित होते हैं जहाँ से ऊपर की ओर यात्रा करके वे अंडवाहिका तक पहुँच जाते हैं, जहाँ अंडकोशिका से मिल सकते हैं। निषेचन के पश्चात निषेचित अंड अथवा युग्मनज गर्भाशय में स्थापित हो जाता है तथा विभाजित होने लगता है। माँ का शरीर गर्भधारण एवं उसके विकास के लिए विशेष रूप से अनुकूलित होता है। अतः गर्भाशय प्रत्येक माह भ्रूण को ग्रहण करने एवं उसके पोषण हेतु तैयारी करता है। इसकी आंतरिक पर्त मोटी होती जाती है तथा भ्रूण के पोषण हेतु रुधिर प्रवाह भी बढ़ जाता है।

भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है, इसके लिए एक विशेष संरचना होती है जिसे प्लैसेंटा कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धँसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर के ऊतक में प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्तस्थान होते हैं जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं। यह माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानांतरण हेतु एक बृहद क्षेत्र प्रदान करते हैं। विकासशील भ्रूण द्वारा अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं जिनका निपटान उन्हें प्लैसेंटा के माध्यम से माँ के रुधिर में स्थानांतरण द्वारा होता है। माँ के शरीर में गर्भ को विकसित होने में लगभग 9 मास का समय लगता है। गर्भाशय के पेशियों के लयबद्ध संकुचन से शिशु का जन्म होता है।

जीव जनन कैसे करते हैं Notes Class 10

क्या होता है जब अंड का निषेचन नहीं होता?

उत्तर- यदि अंडकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। क्योंकि अंडाशय प्रत्येक माह एक अंड का मोचन करता है, अतः निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रति माह तैयारी करता है। अतः इसकी अंतःभित्ति मांसल एवं स्पोंजी हो जाती है। यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परंतु निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह पर्त धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतसाव अथवा रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।

लैंगिक जनन संचारित रोग अनैतिक यौन संबंध बनाने के कारण जो रोग होता है, उसे लैंगिक जनन संचारित रोग कहते है।

या, जनन की क्रिया के कारण जो रोग होता है ,उसे लैंगिक जनन संचारित रोग कहते है।

या, यौन संबंध से होनेवाले संक्रामक रोग को लैंगिक जनन संचारित रांग कहते हैं।

बैक्टीरिया-जनित रोग- सिफलिस, गोनोरिया, यूरेथ्राइटिस तथा सर्विसाइटिस आदि।

वाइरस-जनित रोग- हर्पिस, एड्स तथा सर्विक्स कैंसर आदि।

प्रोटोजोआ-जनित रोग- स्त्रियों के मूत्रजनन नलिकाओं में एक प्रकार के प्रोटोजोआ के संक्रमन से होने वाले रोग ट्राइकोमोनिएसिस है।

Bihar board class 10 ch 8 notes biology

Bihar board class 10 ch 8 notes biology pdf download

जीव जनन कैसे करते हैं Notes PDF Class 10

Bihar board class 10 ch 8 solution biology pdf download

Bihar Board Class 10th Biology Notes

Bihar Board Class 10 Notes in Hindi PDF

Bihar board class 10th solutions

Join our telegrame link for premium notes free

 

 

 

Table of Contents

Leave a Comment