class 6th geography notes पृथ्वी एवं उसकी गतियाँ ch 2 | bihar board sst notes

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पृथ्वी एवं उसकी गतियाँ

पृथ्वी की गतियाँ: पृथ्वी की दो गतियाँ हैं-

  1. घूर्णन या दैनिक गति
  2. परिभ्रमण या वार्षिक गति
  3. घूर्णन या दैनिक गति: पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का पूर्णन या परिभ्रमण कहते हैं। इसके कारण दिन व रात होते हैं। अतः इस गति को दैनिक गति भी कहते हैं।
  4. परिभ्रमण या वार्षिक गति: पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्तीय मार्ग पर परिक्रमा करती है जिसे परिक्रमण या वार्षिक गति कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन 6 घंटे का समय लगता है।

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प्रश्न: अगर पृथ्वी घूर्णन न करे तो क्या होगा?

उत्तर: अगर पृथ्वी घूर्णन न करे तो पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होगा उस भाग में हमेशा दिन होगा जिससे उस भाग पर लगातार गर्मी पड़ेगी| दुसरे भाग में हमेशा रात होगा तथा हमेशा ठंड पड़ेगी| घूर्णन गति के साथ हि पृथ्वी की परिभ्रमण गति भी जूड़ी हुई है इस कारण ऋतु परिवर्तन भी नहीं होगा |

अक्ष: उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली काल्पनिक रेखा अक्ष है।

NOTE: पृथ्वी अपने अक्ष पर  झुकी हुई है।

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आभासी गति: पृथ्वी पश्चिम से पूर्व घूमती की ओर घूमती इसलिए सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर जाता हुआ प्रतीत होता है, सूर्य की इस गति आभासी गति को कहते है।

प्रश्न: ध्रुवों पर छ: महीने लगातार दिन और रात क्यों होते हैं?  

उत्तर: उत्तरी ध्रुव पर सूर्य का प्रकाश लगातार छ: महीने परता है जिससे यहाँ छ: महीने लगातार दिन रहता है ठीक उसी समय दक्षिणी ध्रुव में अँधेरा होता है यही कारण है कि ध्रुवों पर छ: महीने लगातार दिन और रात होते हैं|   

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सूर्य के परिक्रमा करते समय पृथ्वी की स्थिति:

  1. जून की स्थिति: 21 जून को पृथ्वी सूर्य की ओर झुके होने के कारण इस समय सूर्य की किरणें विषुवत रेखा से कुछ उत्तर में कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं जिसके कारण दिन की अवधि इस समय लम्बी होती है| इस समय सूर्य की ताप अधिक मिलता है| फलत: इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी का मौसम होता है| हमारा देश उत्तरी गोलार्द्ध में है इसलिए यहाँ जून में खूब गर्मी पड़ती है| इसी समय दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं इसलिए वहाँ जून में सूर्य का ताप कम मिलता है और वहाँ जाड़े का मौसम होता है|
  2. दिसम्बर की स्थिति: 22 दिसम्बर अर्थात् 21 जून के 6 माह बाद पृथ्वी सूर्य की आधी परिक्रमा कने के बाद सूर्य के दुसरे ओर पहुच जाती है| इस समय पृथ्वी का झुकाव सूर्य के विपरीत होता है| एस समय पृथ्वी का दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य के सामने होता है| सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी परने लगती हैं| जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध का अधिक हिस्सा प्रकाश में रहता है और कम हिस्सा अँधेरा में| इसलिए इस समय दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन लम्बी और रातें छोटी होती है| साथ हि, इस गोलार्द्ध में अधिक तापमान होने से यहाँ गर्मी की ऋतु होती है| इसके विपरीत इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं| दिन बही छोटा होता है| इसलिए दिसम्बर में यहाँ जाड़े का मौसम होता है|  

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  1. सितम्बर और मार्च की स्थति: 21 मार्च और 23 सितम्बर की स्थिति। इस दिन पृथ्वी का झुकाव न तो सूर्य की ओर होता है न ही उसके विपरीत । इस दिन सूर्य का प्रकाश सभी अक्षांश रेखाओं को दो बराबर भाग में काटता है। इसलिए दिन और रात की अवधि बराबर होती है। ये तिथियाँ समदिवारात्रि कही जाती हैं। इस समय पृथ्वी के बीचों-बीच अर्थात् विषुवत रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। यहाँ इन दोनों महीनों में अधिक गर्मी पड़ती है। उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी। इन तिथियों पर हमारे देश में क्रमशः वसंत और शिशिर ऋतु होती है।

NOTE: सूर्य के स्थिर होने के कारण उसकी स्थिति तो हर वक्त एक सी होती है, पृथ्वी की स्थिति बदलती रहती है|

NOTE: सुबह

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पृथ्वी पर तीन कटिबंध है:

  1. उष्ण कटिबंध की पेटी
  2. शीतोष्ण कटिबंध की पेटी
  3. शीत कटिबंध की पेटी

 

  1. उष्ण कटिबंध की पेटी: पृथ्वी के बीच के हिस्से में सूर्य की किरणें लगभग हमेशा सीधी पड़ेगी, जिसके कारण यहाँ सालों भर गर्मी पड़ती, पृथ्वी पर इस क्षेत्र को “उष्ण कटिबंध की पेटी” कहते है|
  2. शीतोष्ण कटिबंध की पेटी: जब हम पृथ्वी के बीच के हिस्से से उत्तर या दक्षिण की ओर बढ़ते हैं पृथ्वी की गोलाकार सतह के कारण सूर्य की किरणें तिरछीहोती जाती हैं और बड़े हिस्से में फैल जाती हैं जिसके करण यहाँ उष्णकटिबंधिय क्षेत्र की आपेक्षा कम गर्मी मिलती है, पृथ्वी पर इस क्षेत्र को “शीतोष्ण कटिबंध की पेटी” कहते है|
  3. शीत कटिबंध की पेटी: ध्रुव के निकट सूर्य की किरणें अत्यधिक तिरछी पड़ती है यही कारण है की यहाँ छ: महीने होने के बावजूद ये किरणें वहाँ के धरातल एवं वतावरण को गर्म नहीं कर पाती है, जिसके कारण यहाँ वर्षभर बर्फ जमी रहती है, पृथ्वी पर इस क्षेत्र को “शीत कटिबंध की पेटी” कहते है|
NOTE: पृथ्वी के झुकाव तथा अक्षीय एवं वार्षिक गति के प्रभाव से हि तो मौसम बदलते रहते हैं|   

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