Geography class 6 notes | पृथ्वी और ग्लोब ch 6

Geography class 6 notes | पृथ्वी और ग्लोब ch 6

Geography class 6 notes | पृथ्वी और ग्लोब chapter 6

NOTE: चाँद पर पहुँचने वाले प्रथम व्यक्ति अमेरिका के नील आर्मस्ट्रांग थे|

क्षितिज: किसी भी स्थान पर खड़े होकर अगर दूर तक निगाह डाली जाय तो ऐसे लगेगा कि कुछ दूर पर जमीं और आसमान आपस में मिल रहे हैं, इसे क्षितिज कहते हैं|

महादेश: वैसे जमीन के बड़े- बड़े हिस्से जो महासागरों से घिरे हुए हैं, वे महादेश हैं| इन्हें स्थल भाग कहा जाता है| स्थल पर हि लोग रहते हैं| इसी पर गाँव, शहर, नदी, नाले इत्यादि हैं|

महादेश की कुल संख्या सात है:

(i) एशिया – महादेश मे 48 देश है:

(ii) यूरोप –  महादेश मे 46 देश है:

(iii) उतरी अमेरिका – महादेश मे 29 देश है:

(iv) दक्षिणी अमेरिका – महादेश मे 12 देश है:

(v) अफ्रीका – महादेश मे 54 देश है:

(vi) आस्ट्रेलिया – महादेश मे 3 देश है:

(vii) अंटार्टिका – महादेश मे 0 देश है:

महासागर: ये बहुत गहरे होते हैं | इनकी औसत गहराई लगभग 4km होती है |

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महासागरों की कुल संख्या 5 है:

(i) प्रशांत महासागर

(ii) अटलांटिक महासागर

(iii) हिन्द महासागर

(iv) आर्कटिक महासागर

(v) अंटार्कटिक महासागर

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NOTE: आर्कटिक महासागर को उत्तरी एवं दक्षिणी हिम महासागर भी कहते है क्योंकि अत्यधिक ठंड के कारण यहाँ बर्फ जमी रहती है|

गोलार्द्ध: पृथ्वी गोल है, किसी भी गोले को दो बराबर भागों में बाँटा जाय तो गोले का आधा भाग गोलार्द्ध कहलाता है|

भूमध्य रेखीय वृत्त: यह पृथ्वी को उत्तरी एवं दक्षिणी को दो बराबर भाग में बाटती हैं| यह सबसे बड़ा वृत्त होता है| इस रेखा से उत्तर का भाग उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी भाग दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाता है|

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अक्षांश: विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण दिशा में स्थित किसी स्थान की कोणीय दूरी को अक्षांश कहते हैं। यह कोण पृथ्वी के केन्द्र पर बनता है।

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अक्षांश रेखाएँ: भूमध्य रेखीय वृत्त से पूर्व से पश्चिम की ओर खिंची गई रेखाएँ अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं|

NOTE: भूमध्य रेखीय वृत्त को ही विषुवत वृत्त या विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा कहा जाता है|

NOTE: भूमध्य रेखीय वृत्त पृथ्वी का 0° अक्षांश है क्योंकि यह पृथ्वी के मध्य में है और इसी 0° अक्षांश से ही अन्य अक्षांश की गणना की जाती है|

NOTE: भूमध्य रेखा के    उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा एवं   दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहा जाता है|

NOTE: 90° उत्तरी तथा 90° दक्षिणी अक्षांश को क्रमश: उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव कहते हैं| यह अक्षांश वृत्त न होकर मात्र एक बिन्दु होता है|

NOTE: दो अक्षांशो के बीच की दुरी समान होती है|

NOTE: विषवत वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर वृत्त छोटे होते जाते हैं| सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई समान नहीं होती|

देशांतर रेखाएँ: उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाएँ देशांतर रेखाएँ कहलाती हैं|

NOTE: पृथ्वी पर 360 देशांतर रेखाएँ हैं| इनमे दो देशांतर रेखाएँ 0° देशांतर को प्रधान या प्रधान मध्याह्न रेखा तथा 180° देशांतर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को महत्वपूर्ण मानी गई हैं|

NOTE: 180° देशांतर रेखा अर्थात अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा एक ही है इसलिए यह पूर्व या पश्चिम नहीं होता है|

NOTE: सूर्य की प्रकाश एक देशांतर से दुसरे देशांतर तक पहुँचने में 4 मिनट का समय लगता है|

NOTE: अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पश्चिम जाने पर 1 तिथि बढ़ा दी जाती है जबकि पूर्व जाने पर 1 तिथि घटा दी जाती है|

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पृथ्वी को अक्षांश रेखाओं के आधार पर तीन कटिबंधों में बाँटते है:

1.उष्ण कटिबंध: यह कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच में है। यहाँ सभी अक्षांशो पर मध्याह्न सूर्य काम-से-कम एक बार आवश्य     सीधी पड़ती है।इस कारण यहाँ सालो भर सबसे अधिक गर्मी पड़ती है।

2. शीतोष्ण कटिबंध: यह उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा और आर्कटिक रेखा के बीच (उत्तर से   उत्तर ) है तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा और अंटार्कटिक रेखा के बीच (  दक्षिण से   दक्षिण ) है। इसमे सूर्य के किरण तिरछी पड़ती है जिसके कारण इस कटिबंध में जलवायु न तो अधिक गर्म और न ही अधिक सर्द अतः, तापमान साधारण रहता है।

3.शीत कटिबंध: यह उत्तरी गोलार्द्ध में आर्कटिक वृत और उत्तरी ध्रुव के बीच तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में आर्कटिक वृत और दक्षिणी ध्रुव के बीच है। ध्रुवों के निकट सूर्य की किरणें अत्यधिक तिरछी पड़ती है यही कारण है कि यहाँ छ: महीने का दिन होने के बाबजूद ये किरणें वहाँ की धरातल एवं वतावरण को गर्म नहीं कर पाती है; अत:, यहाँ सालों भर बर्फ बनी रहती हैं|

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