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अष्टमः पाठः

कर्मवीर कथा

कर्मवीर कथा: इस पाठ में समाज के एक दलित ग्रामीण की कहानी है। वह कर्मठ नायक है जो अपने उत्साह से महान पद प्राप्त करता है और समाज में सर्वत्र सम्मान पाता है। कहानी का मूल्य निराश न होने और उत्साह के साथ हर काम करने में सक्षम होने में है।

NOTE:-  इस पाठ(कर्मवीर कथा) का हिंदी अर्थ इसी Page में निचे हैं।

मौखिकः

 

  1. एकपदेन उत्तरं वदत –

(क) कर्मवीरः कः अस्ति?

उत्तरम्- रामप्रवेशः

 (ख) विहारप्रान्तस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे क: ग्रामः अस्ति?

उत्तरम्- भीखनटोला

 (ग) भीखनटोला ग्रामे शिक्षकः कं दृष्टवान्?

उत्तरम्- रामप्रवेशम्

(घ) कर्मवीरः रामप्रवेश: कुत्र उन्नतं स्थान प्राप्तवान्?

उत्तरम्- महाविद्यालये

(ङ) केन कर्मवीरः उन्नत स्थानमवाप?

उत्तरम्-  स्वविद्यागुरुणा

लिखितः

 

  1. एकपदेन उत्तरं लिखत –

(क) रामप्रवेशस्य ग्रामस्य नाम किम् अस्ति?

उत्तरम्- भीखनटोला

 (ख) भीखनटोलां द्रष्टुं क; आगतः?

उत्तरम्- प्राथमिक विद्यालयस्य शिक्षकः

 (ग) बालक: कस्य शिक्षणशैल्याकृष्टः?

उत्तरम्- शिक्षकस्य

 (घ) स्नातकपरीक्षायां प्रथमस्थानं प्राप्य कस्य ख्यातिमवर्धयत्?

उत्तरम्- स्वमहाविद्यालयस्य

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(ङ) उद्योगिनं पुरुषसिंह का उपैति?

उत्तरम्– लक्ष्मीः

 

  1. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत –

(क)’ भीखनशेला ग्रामः कुत्र अस्ति?

उत्तरम्- भीखनटोला ग्रामः बिहारराज्यस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे अस्ति ।

(ख) प्राथमिकविद्यालये कीदृशः शिक्षकः समागतः?

उत्तरम्- प्राथमिकविद्यालये नवीनदृष्टिसम्पन्न: सामाजिकसामरस्यरसिक शिक्षक समागतः ।

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(ग) शिक्षकः क शिक्षितुमारभत?

उत्तरम्- शिक्षक बालकमेनं स्वविद्यालयमानीय स्वयं शिक्षितुमारभत ।

 

(घ) रामप्रवेशः कस्यां परीक्षायाम् उन्नतं स्थानमवाप?

उत्तरम्- रामप्रवेश: उच्चविद्यालयस्य परीक्षायाम् उन्नतं स्थानमवाप ।

(ङ) कयो: अर्थाभावेऽपि रामप्रवेश: महाविद्यालये प्रवेशमलभत?

उत्तरम्- पित्रोः अर्थाभावेऽपि रामप्रवेशः महाविद्यालये प्रवेशमलभत ।

 

(च) साक्षात्कारे समितिसदस्याः किमर्थं प्रीताः अभवन्?

उत्तरम्- साक्षात्कारे समितिसदस्याः रामप्रवेशस्य व्यापकेन ज्ञानेन, तत्रापि तादृशे परिवारपरिवेशे कृतेन श्रमेणाभ्यासेन च प्रीताः अभवन् ।

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(च) रामप्रवेशस्य प्रतिष्ठा कुत्र – कुत्र दृश्यते?

उत्तरम्- रामप्रवेशस्य प्रतिष्ठा स्वप्रांत केन्द्रशासने च दृश्यते ।

(छ) लक्ष्मीः कीदृशं जनम् उपैति?

उत्तरम्- लक्ष्मीः उद्योगिनं जनम् उपैति ।

 

  1. उदाहरणम् अनुसृत्य रक्षति / त्रायते क्रियापदस्य प्रयोगं कृत्वा मञ्जूषातः पदानि चित्वा, समुचितविभक्तिं संयोज्य सप्त वाक्यानि रचयत-

उदाहरणम्-     (क) गृहं सूर्यस्य आतपात् मेघस्य वर्षणात् च त्रायते ।

(ख) पिता पुत्रं विघ्नात् रक्षति ।

पद्मजा, देवदत्तः, रमेशः, करीमः, शैलेशः, दिव्येशः, शत्रुः , देशः, आतङ्कवादी, लुण्ठकः, धर्मात्मा, पापम्, सज्जनः, दोषः

 

 

उत्तरम् –

(1) पद्मजा देवदत्तं रक्षति ।

(2) धर्मात्मा पापात् रक्षति ।

(3) करीमः ग्रामीणं लुण्ठकात् रक्षति ।

(4) वैद्यः रोगात् शैलेश त्रायते ।

(5) सैनिक: चौरात् त्रायते ।

(6) सैनिकः आतंकवादीभ्यः देशं रक्षति ।

(7) सज्जनः जनं पापात् रक्षति ।

  1. निम्नाङ्कित्तानां समस्तपदानां विग्रहं कृत्वा समासनामानि लिखत-

 

(क) अकृतकालक्षेपः

उत्तरम्- अकृतकालक्षेपः न कृतः कालस्य क्षेपः येन, सः (बहुव्रीहि)

 

(ख) पुस्तकागारम्

उत्तरम्- पुस्तकागारम् पुस्तानाम आगारः (तत्पुरुषः)

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(ग) स्नातकपरीक्षायाम्

उत्तरम्- स्नातकपरीक्षायाम् सनातकस्य परीक्षायाम् (तत्पुरुष)

 

(घ) दलितबालकम्

उत्तरम्- दलितबालकम् दलितश्चासौ बालकः, तम् (कर्मधारयः)

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(ङ) क्लिष्टजीवनाः

उत्तरम्- क्लिष्टजीवनाः क्लिष्टं जीवनं येषां ते (बहुव्रीहिः)

(च) नवीनदृष्टिसम्पन्नः

उत्तरम्- नवीनदृष्टिसम्पन्न: नवीना दृष्टिः यथा सम्पन्नः (तृतीया तत्पुरुषः )

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(छ) सामाजिक सामरस्यसम्पन्नः

उत्तरम्- सामाजिक सामरस्यसम्पन्न: सामाजिकसामरस्यसम्पन्न: (सप्तमी तत्पुरुषः)

 

(ज) स्वाध्यायनिरतः

उत्तरम्- स्वाध्यायनिरतः स्वाध्यायेन (बहुव्रीहिः)

 

  1. पठितपाठम् अनुसृत्य निम्नलिखितपदानां पर्यायरूपाणि लिखत

(उदाहरणम् – पुस्तकालय पुस्तकागारम्)

(क) कठिनजीविताः

उत्तरम् – कठिनजीविताः क्लिष्टनीविनाका

(ख) अकृतसमयनाशः

उत्तरम् – अकृतसमयनाशः अकृतकालक्षेपः

(ग) क्षमता

उत्तरम् – क्षमता सामर्थ्य

(घ) जनप्रियः

उत्तरम् – जनप्रियः लोकप्रियः

(ङ) आकर्षकम्

उत्तरम् – आकर्षकम् आवर्जकम्

(च) संलग्नः

उत्तरम् – संलग्नः निरतः

(छ) परिश्रमः

उत्तरम् –

(ज) धनाभावः

उत्तरम् – धनाभावः –  अर्थाभावः

(झ) सावधानमनसा

उत्तरम् –

(ञ) सद्यः आकर्षकेण

उत्तरम् – सद्यः आकर्षकण सद्यः आवर्जकण

कर्मवीर कथा पाठ का हिंदी अर्थ

 

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पाठेऽस्मिन् समाजे दलितस्य ग्रामवासिनः पुरुषस्य कथा वर्तते। कर्मवीरः असौ निजोत्साहेन विद्यां प्राप्य महत्पदं लभते, समाजे च सर्वत्र सत्कृतो भवति। कथाया मूल्यं वर्तते यत् निराशो न स्यात्, उत्साहेन सर्वं कर्तुं प्रभवेत्।

हिंदी अर्थ:- इस पाठ में समाज के एक दलित ग्रामीण की कहानी कहता है। वह कर्मठ नायक है जो अपने उत्साह से महान पद प्राप्त करता है और समाज में सर्वत्र सम्मान पाता है। कहानी का मूल्य निराश न होने और उत्साह के साथ हर काम करने में सक्षम होने में है।

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अस्ति बिहारराज्यस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे ‘भीखनटोला’ नाम ग्रामः। निवसन्ति स्म तत्रातिनिर्धनाः शिक्षाविहीनाः क्लिष्टजीवनाः जनाः। तेष्वेवान्यतमस्य जनस्य परिवारो ग्रामाद् बहिः स्थितायां कुट्यां न्यवसत्। कुटी तु जीर्णप्रायत्वात् परिवारजनान् आतपमात्राद् रक्षति, न वृष्टेः। परिवारे स्वयं गृहस्वामी, तस्य भार्या तयोरेकः पुत्रः कनीयसी दुहिता चेत्यासन्।

हिंदी अर्थ:- बिहार राज्य के सुदूर जंगल में ‘भिखनटोला’ नाम का एक गाँव है। वहाँ बहुत गरीब लोग रहते थे, बिना शिक्षा के और कठिन जीवन जी रहे थे उनमें से एक का परिवार गांव के बाहर एक झोपड़ी में रहता था। हालाँकि, झोपड़ी लगभग जीर्ण-शीर्ण होने के बावजूद परिवार के सदस्यों को केवल गर्मी से बचाती है, बारिश से नहीं। परिवार में गृहस्वामी स्वयं, उनकी पत्नी, उनका एक पुत्र और सबसे छोटी पुत्री शामिल थे।

तस्माद् ग्रामात् क्रोशमात्रदूरं प्राथमिको विद्यालयः प्रशासनेन संस्थापितः। तत्रैको नवीनदृष्टिसम्पन्नः सामाजिकसामरस्यरसिकः शिक्षकः समागतः। भीखनटोलां द्रष्टुमागतः स कदाचित् खेलनरतं दलितबालक विलोक्य तस्यापातरमणीयेन स्वभावेनाभिभूतः। शिक्षकं बालकमेनं स्वविद्यालयमानीय स्वयं शिक्षितुमारभत। बालकोऽपि तस्य शिक्षणशैल्याकृष्टः शिक्षाकर्म जीवनस्य परमा गतिरिति मन्यमानो निरन्तरमध्यवसायेन विद्याधिगमाय निरतोऽभवत्। क्रमशः उच्चविद्यालयं गतस्तस्यैव शिक्षकस्याध्यापनेन स्वाध्यवसायेन च प्राथम्यं प्राप। ‘छात्राणामध्ययनं तपः’ इति भूयोभूयः स्वविद्यागुरुणोपदिष्टोऽसौ बालकः पित्रोरर्धाभावेऽपि छात्रवृत्त्या कनीयश्छात्राणां शिक्षणलब्धेन धनेन च नगरगते महाविद्यालये प्रवेशमलभत।

हिंदी अर्थ:- प्रशासन ने गांव से मात्र एक कोस दूर एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की। वहां एक शिक्षक आये, जिनके पास एक नई दृष्टि और सामाजिक सद्भाव के लिए जुनून था। एक बार वे भीखन टोला देखने आए और वहां एक दलित बालक को खेलते हुए देखा और उसके आकर्षक स्वभाव से अभिभूत हो गए शिक्षक उस लड़के को अपने स्कूल ले गया और उसे स्वयं पढ़ाना शुरू कर दिया यहां तक ​​कि बालक ने भी उनकी शिक्षण शैली से आकर्षित होकर शिक्षा को ही जीवन का परम मार्ग मान लिया और निरंतर साधना के साथ ज्ञान अर्जन में लग गया। धीरे-धीरे वे हाई स्कूल में चले गए और उसी शिक्षक के अधीन अध्यापन और अध्ययन में उन्हें प्राथमिकता मिली। अपने शिक्षक द्वारा बार-बार यह शिक्षा दिए जाने पर कि ‘विद्यार्थियों द्वारा अध्ययन करना तपस्या है’, बालक को, अपने पिता के आधे शरीर की अनुपस्थिति के बावजूद, छात्रवृत्ति पर तथा विद्यार्थियों की शिक्षा से अर्जित धन से शहर के एक कॉलेज में प्रवेश मिल गया।

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तत्रापि गुरूणां प्रियः सन् सततं पुस्तकालये स्ववर्गे च सदावहितचेतसा अकृतकालक्षेपः स्वाध्यायनिरतोऽभूत्। महाविद्यालयस्य पुस्तकागारे बहूनां विषयाणां पुस्तकानि आत्मसादसौ कृतवान्। तत्र स्नातकपरीक्षायां विश्वविद्यालये प्रथमस्थानमवाप्य स्वमहाविद्यालयस्य ख्यातिमवर्धयत्। सर्वत्र रामप्रवेशराम इति शब्दः श्रूयते स्म नगरे विश्वविद्यालयपरिसरे च। नाजानतां पितरावस्य विद्याजन्यां प्रतिष्ठाम्।

हिंदी अर्थ:- वहां भी, अपने अध्यापकों के प्रिय, वे पुस्तकालय में तथा अपनी कक्षा में एकाग्रचित्त होकर निरन्तर अध्ययन में लगे रहते थे। उन्होंने कॉलेज के पुस्तकालय से कई विषयों पर पुस्तकें एकत्रित कीं। वहां उन्होंने स्नातक परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने कॉलेज की प्रतिष्ठा बढ़ाई। शहर और विश्वविद्यालय परिसर में हर जगह रामप्रवेश राम की ध्वनि सुनाई दे रही थी अपने पूर्वजों की ज्ञान से उत्पन्न प्रतिष्ठा को न जानते हुए।

वर्षान्तरेऽसौ केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायामपि स्वाध्यवसायेन व्यापकविषयज्ञानेन च उन्नतं स्थानमवापा साक्षात्कारे च समितिसदस्यास्तस्य व्यापकेन ज्ञानेन, तत्रापि तादृशे परिवारपरिवेशे कृतेन श्रमेणाभ्यासेन च परं प्रीताः अभूवन्।

हिंदी अर्थ:- एक वर्ष बाद वे अपने अध्ययन और व्यापक विषय ज्ञान के बल पर केन्द्रीय लोक सेवा परीक्षा में भी आगे बढ़ गये और साक्षात्कार में समिति के सदस्य वहां भी ऐसे पारिवारिक वातावरण में उनके व्यापक ज्ञान और कड़ी मेहनत और अभ्यास से बहुत प्रसन्न हुए।

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अद्य रामप्रवेशरामस्य प्रतिष्ठा स्वप्रान्ते केन्द्रप्रशासने च प्रभूता वर्तते। तस्य प्रशासनक्षमतां संकटकाले च निर्णयस्य सामर्थ्य सर्वेषामावर्जके वर्तते। नूनमसौ कर्मवीरो व्यतीत्य बाधाः प्रशासनकेन्द्र लोकप्रियः संजातः। सत्यमुक्तम् उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः।

हिंदी अर्थ:- आज रामप्रवेश राम की प्रतिष्ठा अपने प्रांत और केंद्रीय प्रशासन में मजबूत है। संकट के समय उनकी प्रशासनिक क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति अद्वितीय है। निश्चय ही इस कर्मठ नायक ने बाधाओं को पार कर लिया है और एक लोकप्रिय प्रशासनिक केंद्र बन गया है। लक्ष्मी सत्यनिष्ठ मेहनती सिंह पुरुष के पास जाती है।

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