class 9 history chapter 6 bihar board | वन्य समाज और उपनिवेशवाद

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Table of Contents

class 9 history chapter 6 bihar board | वन्य समाज और उपनिवेशवाद

 

  1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  2. भारतीय वन अधिनियम कब पारित हुआ ?

उत्तर:- (ख) 1865

  1. तिलका मांझी का जन्म किस ई0 में हुआ था?

उत्तर:- (कु) 1750

  1. तमार विद्रोह किस ई० में हुआ था?

उत्तर:- (ग) 1789

  1. ‘चेरो’ जनजाति कहाँ की रहने वाली थी?

उत्तर:- (घ) पलामू

  1. किस जनजाति के शोषण विहिन शासन की स्थापना हेतु ‘साउथ वेस्ट फ्रंटियर ‘एजेंसी’ बनाया गया था?

उत्तर:- (ग) कोल

  1. भूमिज विद्रह कब हुआ था?

उत्तर:- (ख) 1832

  1. सन् 1855 के संथाल विद्रोह का नेता इनमें से कौन था ?

उत्तर:- (ख) सिद्धू

  1. बिरसा मुंडा ने ईसाई मिशनरियों पर कब हमला किया ?

उत्तर:- (ख) 25 दिसम्बर 1899

  1. भारतीय संविधान के किस धारा के अन्तर्गत आदिवासियों को कमजोर वर्ग का दर्जा दिया गया है ?

उत्तर: (क) धारा 342

  1. झारखंड को राज्य का दर्जा कब मिला ?

उत्तर: (ख) 15 नवम्बर 2000

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  1. भारत में सबसे बड़ी जनजाति है?

उत्तर: भील

  1. भारत की दूसरी बड़ी जनजाति कौन है?

उत्तरः गोंड

  1. भारत की तीसरी बड़ी जनजाति है?

उत्तर- संथाल

14 भारतीय प्रायद्वीप के मूल निवासी को क्या कहा जाता है ?

उत्तर: आदिवासी

(15) आदिवासीयों का महत्वपूर्ण शौक क्या था ?

उत्तर : नाच और गाना

16 आदिवासीयों का महत्वपूर्ण पर्व सरहुल कब मनाया जाता था?

उत्तर : चौत्र शुक्ल तृतीया तिथि को

17 पहाड़िया विद्रोह का नेता कौन था?

उत्तर : तिलका मांझी

18 बिहार कों के पलामू शासक कौन था? में चेरो विद्रोह के समय

उत्तर: चुडामन राय

19) चेरो विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?

उत्तर : भूषण सिंह

(20) चुआर विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?

उत्तर : करणगढ़ की रानी सिरोमणी

(21) ‘हो’ विद्रोह के समय सिंहभूम जिले का राजा कौन था?

उत्तर : राजा जगन्नाथ सिंह

(22) भूमिज विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?

उत्तर गंगा नारायण (हगामा)

  1. बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी कब हुई?

उत्तर -3 मार्च सन् 1900

  1. कंध आदिवासी में ‘विपत्तियों एवं आपदाओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए कौन सी प्रथा प्रचलीत थी?

उत्तर मरियाह प्रथा ( मानव बलि प्रथा )

  1. भारत सरकार के द्वार ‘नई वन नीति’ कब बनाई गई

उत्तर: 1952 ई.

26 छोटा नागपुर करतकारी कानून’ किस वर्ष पारित किया गया ?

उत्तर: 1908 ई. में

22) सिद्धू किस आंदोलन से जुड़े हुए थे?

उत्तर: संथाल विद्रोह से

28) ‘धरती’ आबा’ की उपाधी किसको दिया गया ?

उत्तर: बिरसा मुंडा

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  1. खाली जगहों को भरें :

 

  1. जनजातियों की सर्वाधिक आबादी ………………….. में है।

उत्तर:- मध्य प्रदेश

 

  1. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज कई ………………… में बँटा था।

उत्तर:- कविला

 

  1. वन्य समाज में शिक्षा देने के उद्देश्य से ………………… ने घुसपैठ की।

उत्तर:- इसाई मिशनरियो ने

 

  1. जर्मन वन विशेषज्ञ डायट्रिच बैडिस ने सन् 1864 ई० में…………………. सेवा की स्थापना की।

उत्तर:- वन

 

  1. ………………… पहला संथाली था, जिसने अंग्रेजों पर हथियार उठाया।

उत्तर : तिलका मांझी

 

  1. ‘हो’ जाति के लोग छोटानागपुर के………………. के निवासी थे।

उत्तर:- सिंहभूम

 

  1. भागलपुर से राजमहल के बीच का क्षेत्र ………………….. कहलाता था।

उत्तर:- दामन-ए-कोह

 

  1. सन् …………………..ई० में संथाल विद्रोह हुआ ।

उत्तर:- 1855

  1. बिरसा मुंडा का जन्म ……………….. को हुआ था ।

उत्तर:- 15 NOVEMBER 1874

  1. छत्तीसगढ़ राज्य का गठन ………………..को हुआ था ।

उत्तर:-  1 NOVEMBER 2000

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रशन

  1. वन्य समाज की राजनैतिक स्थिति पर प्रकाश डालें ।

उत्तर:- वन्य समाज की राजनैतिक जीवन : अठाहरवीं शताब्दी में वन्य समाज कबीलों में बँटा था। सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता के कारण प्रत्येक जनजाति एक मुखिया के तहत संगठित थी। मुखिया का मुख्य कर्तव्य कबीला को सुरक्षा प्रदान करना था। धीरे- धीरे ये मुखिया कबीलों पर अपना अधिकार जमाना शुरू  कर दिए। अंग्रेजी शासन के समय उनके द्वारा प्रलोभन दिए जाने के कारण अधिक संख्या में ये मुखिया अंग्रेजों के हिमायती होने लगे और कठोरता से राजस्व वसूली में उनका साथ देने लगे।

 

प्रशन-

2.वन्य समाज का सामाजिक जीवन कैसा था ?

उत्तर:- वन्य समाज का सामाजिक जीवन : आदिवासी सीधे-साधे सरल प्रकृति के थे। आमतौर पर वे स्वयं का शेष समाज से अलग रखते थे, उनका मुख्य शौक और मनोरंजन का साधन हिरण, तीतर और अन्य छोटे पशु पक्षियों का शिकार करना था। इनकी सामाजिक जीवन इतना सादा था कि ये स्वच्छन्दता पूर्वक जीवन बिताते थे। नाच और गाना इनका महत्वपूर्ण शौक था। आदिवासी समाज की महिलाएँ जीवीकोपार्जन में पुरुषों का हाथ बँटाती थीं।

 

प्रशन-

  1. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज का आर्थिक जीवन कैसा था?

उत्तर:- अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज का आर्थिक जीवन: वन्य समाज के आर्थिक जीवन का आधार कृषि था। वे जगह बदल-बदल कर ‘घुमंतू’, ‘झूम’ या पोडू विधि से खेती करते थे। खेती के अलावा अन्य उद्योग धन्धों का भी प्रचलन था। वे हाथी दाँत, बाँस, मशाले, रेशे, रबर, आदि के व्यापार के साथ- साथ लाह तैयार करने का काम भी करते थे।

 

प्रशन-

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4 अठारहवीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों ने वन्य समाज को कैसे प्रभावित किया ?

उत्तर:-  वन्य समाज के ये आदिवासी शुरू से ही अहस्तक्षेप की नीति के पोषक थे। अपने समाज के अन्दर किसी भी तरह के विदेशी घुसपैठ को रोकने के लिए वे सशस्त्र तैयार रहते थे । अंग्रेजों ने तभी उन्होंने शिक्षा देने और लोगों को सभ्य बनाने के उद्देश्य से ईसाई मिशनरियों का घुसपैठ जनजातीय क्षेत्रों में कराया ताकि उनके प्रवेश को एक उचित माध्यम मिल जाय। कालान्तर में ये पादरी आदिवासी धर्म एवं संस्कृति की आलोचना करने लगे और उनका धर्म परिवर्तन करना आरम्भ कर दिए। बड़ी संख्या में आदिवासियों ने ईसाई धर्म को अपनाया और अपनी स्थितियों में सुधार की।

 

प्रशन-

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  1. ‘भारतीय वन अधिनियम’ का क्या उद्देश्य था ?

उत्तर:-  सन् 1864 में ‘वन सेवा’ की स्थापना की तथा सन् 1865 में ‘भारतीय वन अधिनियम’ पारित कर #11864 आदिवासियों के लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दिया गया एवं जंगल को लकड़ी उत्पादन के लिए सुरक्षित किया गया। इससे आदिवासियों के आर्थिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन भी प्रभावित हुआ।

 

प्रशन-

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  1. ‘चेरो’ विद्रोह से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर:-  बिहार में पलामू क्षेत्र में रहने वाले चेरो जनजाति ने अपने राजा चुडामन राय और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया जिसका नेतृत्व भूषण सिंह ने किया। सन् 1802 ई. में भूषण सिंह को फाँसी दे दी गई।

 

प्रशन-

  1. ‘तमार’ विद्रोह क्या था ?

उत्तर:-  तमार विद्रोह सन् 1789 ई० में छोटानागपुर के उरांव जनजाति ने जमींदारों के शोषण के खिलाफ आन्दोलन किया। इतिहास में यह तमार विद्रोह के नाम से जाना जाता है।

 

प्रशन-

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  1. ‘चुआर’ विद्रोह के विषय में लिखें।

उत्तर:-  चुआर जनजाति ने अंग्रेजों के लगान व्यवस्था से असंतोष के कारण विद्रोह किया जिसका नेतृत्व करणगढ़ की रानी सिरोमणी ने किया। 6 अप्रैल 1799 को रानी को गिरफ्तार कर कलकत्ता जेल भेज दिया गया।

 

प्रशन-

  1. उड़ीसा के जनजाति के लिए चक्र बिसोई ने क्या किए?

उत्तर:-  चक्र बिसोई का जन्म धुमसार के ताराबाड़ी नामक गाँव में हुआ था। उसने अंग्रेजों पर आदिवासियों के समाजिक एवं धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया और उनका प्रबल विरोध किया। क्योंकि उसका मानना था विपत्ति एवं आपदाओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए’ मरियाह प्रथा’ मानव बलि प्रथा) सही है।

 

प्रशन-

  1. आदिवासियों के क्षेत्रवादी आन्दोलन का क्या परिणाम हुआ?

उत्तर:-  क्षेत्रवादी आंदोलन के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने लम्बित माँगों को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश राज्य का पुनर्गठन करके 1 नवम्बर सन् 2000 ई० को छत्तीसगढ़ और बिहार राज्य का पुनर्गठन करके 15 नवम्बर सन् 2000 ई० को झारखण्ड को अलग राज्य का दर्जा दे दिया।

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IV दीर्घ उत्तरीय

 

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    अठारहवीं शताब्दी में भारत में जनजातियों के जीवन पर प्रकाश डालें ।

उत्तर:-  अठारहवीं शताब्दी में भारत में जनजातियों के जीवन प्रकार है

(i) वन्य समाज की राजनैतिक जीवन :- अठाहरवीं शताब्दी में वन्य समाज कबीलों में बँटा था। सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता के कारण प्रत्येक जनजाति एक मुखिया के तहत संगठित थी। मुखिया का मुख्य कर्तव्य कबीला को सुरक्षा प्रदान करना था। धीरे- धीरे ये मुखिया कबीलों पर अपना अधिकार जमाना शुरू  कर दिए। अंग्रेजी शासन के समय उनके द्वारा प्रलोभन दिए जाने के कारण अधिक संख्या में ये मुखिया अंग्रेजों के हिमायती होने लगे और कठोरता से राजस्व वसली में उनका साथ देने लगे।

(ii) वन्य समाज का सामाजिक जीवन :– आदिवासी सीधे-साधे मरल प्रकृति के थे। आमतौर पर वे स्वयं का शेष समाज से अलग रखते थे, उनका मुख्य शौक और मनोरंजन का साधन हिरण, तीतर और अन्य छोटे पशु पक्षियों का शिकार करना था। इनकी सामाजिक जीवन इतना सादा था कि ये स्वच्छन्दता पूर्वक जीवन बिताते थे। नाच और गाना इनका महत्वपूर्ण शौक था। आदिवासी समाज की महिलाएँ जीवीकोपार्जन में पुरुषों का हाथ बँटाती थीं।

(iii) वन्य समाज का आर्थिक जीवन:- वन्य समाज के आर्थिक जीवन का आधार कृषि था। वे जगह बदल-बदल कर ‘घुमंतू’, ‘झूम’ या पोडू विधि से खेती करते थे। खेती के अलावा अन्य उद्योग धन्धों का भी प्रचलन था। वे हाथी दाँत, बाँस, मशाले, रेशे, रबर, आदि के व्यापार के साथ- साथ लाह तैयार करने का काम भी करते थे।

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  1. तिलका मांझी कौन थे? उसने आदिवासी क्षेत्र के लिए क्या किया ?

उत्तर:- तिलका मांझी का जन्म 1750 ई० में भागलपुर प्रमंडल स्थित सुल्तानगंज के पास तिलकपुर गाँव में हुआ था। सन् 1779 में वह पहली बार भू राजस्व की राशि कम करने एवं किसानों की भूमि जमींदार से छुड़वाने के लिए वहाँ सशस्त्र विद्रोह किया। भारत में पहली बार इस क्षेत्र में जनजातीय विद्रोह हुआ- अपने ही जमींदार के राजस्व नीति के विरोध में विद्रोह हुआ । इस विद्रोह का नेता तिलका मांझी था। यह भारत का पहला संथाली (तत्कालीन संथाल परगना क्षेत्र) था, जिसने न सिर्फ अपने जमींदार का विरोध किया बल्कि अंग्रेजों पर भी हिंसात्मक कार्रवाई की। पहली बार कलक्टर पर शस्त्र चलाने वाला वह पहला संथाल था जिसने तीर एवं धनुष से सन् 1784 ई० में उसे जख्मी किया, जिससे बाद में क्लेवलैंड की मृत्यु हो गयी।हिंसात्मक कार्यों एवं अंग्रेजों विरोधी नीति के कारण उसे गिरफ्तार कर लिया गया और सन् 1785 ई० में भागलपुर में बीच चौराहे पर बरगद के पेड़ से लटका कर उसे फाँसी दे दी गयी।

 

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3 संथाल विद्रोह से आप क्या समझते हैं? सन् 1857 ई० के विद्रोह में उनकी क्या भूमिका थी ?

उत्तर:- आदिवासियों द्वारा किए गए विद्रोहों में संथाल विद्रोह बहुत महत्वपूर्ण था. क्योंकि विद्रोह की पहली शुरूआत इसी क्षेत्र के लोगों द्वारा की गयी थी और यहीं के विद्रोहियों ने आगे चलकर सन् 1857 ई० की क्रांति को प्रभावित किया। गैर-आदिवासी एवं अंग्रेजों के अत्याचार से नंग आकर यहाँ के संथालों ने अपने आपको संगठित कर लिया। संथालों को उत्प्रेरित करने का कार्य भगनाडीह गाँव के चुल संथाल के चार पुत्र- सिद्ध, कान्हू, चाँद और भैरव त्रे किया। सिद्धू ने अपने आपको टाकुर का अवतार घोषित किया। विद्रोह का आरम्भ दोसी नामक स्थान में अत्याचारी दरोगा महेश लाल की हत्या से आरम्भ हुआ। सरकारी दफ्तरों, महाजनों के घर तथा अंग्रेजों की बस्तियों पर आक्रमण किया गया। संथालों का सबसे बड़ा असंतोष भागलपुर से लेकर वर्द्धमान तक की रेल परियोजना और उचित मजदूरी का नहीं देना थ।

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  1. मुंडा विद्रोह का नेता कौन था । औपनिवेशिक शोषण के विरुद्ध उसने क्या किया ?

उत्तर:- मुंडा विद्रोह- सन् 1899-1900 में छोटानागपुर में मुंडा आदिवासियों ने उपनिवेशवाद का विरोध किया। इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1874 को पलामू जिले के तमाड़ के निकट उलिहातु नामक गाँव में हुआ था। बचपन से ही वह कुशाग्र बुद्धि का था। उसने आदिवासियों की गरीबी और शोषण पर गहन चिंता व्यक्त की और इसके लिए औपनिवेशिक शासन के भू-राजस्व प्रणाली, न्यायप्रणाली एवं शोषणपूर्ण नीतियों का समर्थन करने वाले जमींदारों के प्रति आक्रोशित हुआ। धार्मिक आन्दोलन के आधार पर बिरसा मुंडा ने सभी आदिवासियों को हथियार बन्द करना शुरू कर दिया और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति सजग कराया। मुंडा जाति के साथ-साथ अन्य जनजातियों में भी उसने जागरूकता पैदा की और उन्हें संगठित किया। बिरसा आन्दोलन का परिणाम यह हुआ कि जनजातियों के बीच एक जिम्मेवार और उत्तरदायी शासन स्थापित हुआ  जिसने आदिवासियों के लिए कई सुधारात्मक कार्य किये ।

 

प्रशन-

5 वे कौन से कारण थे, जिन्होंने अंग्रेजों को वन्य-समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के लिए वाध्य किया ?

उत्तर:- अंग्रेजों को वन्य-समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के निम्नलिखित कारण थे।

(i) आर्थिक लाभ:- अंग्रेजी सरकार ने आदिवासियों के जमीन से राजस्व प्राप्त करने के लिए जमींदारी व्यवस्था लागू कीया। अब जमींदार, महाजन और साहूकारों द्वारा ये आर्थिक शोषण के शिकार होने लगे। इस से आदिवासीयों के आर्थिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन भी प्रभावित हुआ।

(ii) धार्मिक कारण:- अंग्रेजों ने शिक्षा देने और लोगों को सभ्य बनाने के उद्देश्य से इसाई मिशनरियों का घुसपैठ जनजातीय क्षेत्रों में कराया जबकी उसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों का धर्म परिवत्तन करा कर इसाई धर्म में ले जाना था।

(iii) अर्थिक लाभ :- उन्नीसवीं शताब्दी के आते-आते अंग्रेजों ने रेल की पटरी एवं रेल के डब्बे की सीट बनाने के लिए जंगलों की कटाई शुरू कर दी, जिससे आदिवासी जनजीवन पर कुठाराघात हुआ।

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