Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद
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Some important objectives:
- वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट- 1878 ई०
- आर्म्स एक्ट- 1879
- इलवर्ट बिल- 1883 ई०
- बक्सर का युद्ध- 1764 ई०
- ब्रिटेन की माहारानी भारत की माहारानी बनी- 1858
- बंगाल विभाजन- 1905 (लार्ड कर्जन)
- बंगाल विभाजन वापस – 1911 ई०
- प्लासी का युद्ध –1757
- प्रथम I.S.C. (Indian civil services)- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- ब्राह्य समाज की स्थापना- राजाराम मोहन राय
- आर्य समाज की स्थापना- 1875 (दयानंद सरस्वती)
- वेदों की ओर लौटने का नारा- दयानंद स्रस्वती
- सिविल सर्विसेस की शुरुआत- चीन
I वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की ?
(क) गुरदयाल सिंह, 1916
(ख) चन्द्रशेखर आजाद, 1920
(घ) सोहन सिंह भाखना, 1918
उत्तर- (ग) लाला हरदयाल, 1913
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प्रश्न 2. जालियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ ?
(क) 13 अप्रैल 1919 ई०
(ख) 14 अप्रैल 1919 ई०
(ग) 15 अप्रैल 1919 ई० 1
(घ) 16 अप्रैल 1919 ई。
उत्तर—(क) 13 अप्रैल 1919 ई०
प्रश्न 3. लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ ?
(क) 1916
(ख) 1918
(ग) 1920
(घ) 1922
उत्तर—(क) 1916
प्रश्न 4. असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव काँग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ ?
(क) सितम्बर 1920, कलकता
(ख) अक्टूबर 1920, अहमदाबाद
(ग) नवम्बर 1920, फैजपुर
(घ) दिसम्बर 1920, नागपुर
उत्तर—(क) सितम्बर 1920, कलकता
bihar board class 10th history ch 4 questions answer | भारत में राष्ट्रबाद
प्रश्न 5.भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ?
(क) 1920 तुर्की
(ग) 1920 फ्रांस
(ख) 1920 अरब
(घ) 1920 जर्मनी
उत्तर—(क) 1920 तुर्की
प्रश्न 6. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ ?
(क) 1920 भुज
(ग) 1930 दांडी
(ख) 1930 अहमदाबाद
(घ) 1930 एल्बा
उत्तर- (ग) 1930 दांडी
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प्रश्न 7. पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ ?
(क) 1929 लाहौर
(ख) 1931 कराँची
(ग) 1933 कलकत्ता
(घ) 1937 बेलगाँव
उत्तर—(क) 1929 लाहौर
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प्रश्न 8. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की ?
(क) 1923, गुरू गोलवलकर
(ख) 1925, के० बी० हेडगेवार
(ग) 1926, चितरंजन दास
(घ) 1928 लालचंद
उत्तर- (ख)1925, के० बी० हेडगेवार
प्रश्न 9. बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई ?
(क) बारदोली
(ख) अहमदाबाद
(ग) खेड़ा
(घ) चंपारण
उत्तर—(क) बारदोली
प्रश्न 10. रंपा विद्रोह कब हुआ ?
(क) 1916
(ग) 1918
(ख) 1917
(घ) 1919
उत्तर—(क) 1916
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II रिक्त स्थान भरें
प्रश्न 1. बाल गंगाधर तिलक और …………. ने होमरूल लीग आन्दोलन को शुरू किया ।
उत्तर—एनी बेसेन्ट
प्रश्न 2. ………………..भारत में खिलाफत आन्दोलन के नेता थे ।
उत्तर- महात्मा गांधी
प्रश्न 3. ………….फरवरी………….को …………. आन्दोलन स्थगित हो गया ।
उत्तर— 12, 1922, असहयोग
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प्रश्न 4. साइमन कमीशन के अध्यक्ष ……………… थे ।
उत्तर— सर जॉन साइमन
प्रश्न 5. ……………..में ………….. कर के विरोध में आन्दोलन आरंभ हुआ ।
उत्तर- सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक
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प्रश्न 6. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष ……………………. थे।
उत्तर- व्योमेश चन्द्र बनर्जी
प्रश्न 7. …….. अप्रैल ………. को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन ……… हुआ ।
उत्तर- 11, 1936, लखनऊ
प्रश्न 8. उड़िसा ……………में………….. में विद्रोह हुआ ।
उत्तर- 1914, खोंड
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:
- खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ था?
उत्तर– प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की की पराजय के बाद ओटोमन सम्राज्य पर मित्र राष्ट्र का अधिकार हो गया। तुर्की के शासक को उसके ही प्रदेश में शासन करने से रोक दिया गया, तुर्की का खलीफा सम्पुर्ण ईस्लामिक देश का धर्म-गुरु था। इसलिए दुनिया के मुस्लमानों ने तुर्की के समर्थन में एवं ब्रिटेन के विरोध में आंदोलन की शुरूआत की। 1920 में ‘महात्मा गांधी’ के नेतुत्व में थी यह आंदोलन भारत में शुरू किया गया। जिसे खिलाफत आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
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रॉलेट एक्ट क्या है?
उत्तर- 1919 ई० में भारतीय क्रातिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अंग्रेज सरकार ने ‘लार्ड चेम्सफोर्ड’ के नेतृत्व में रॉलेट एक्ट पारित किया था। इसके आधार पर किसी भी भारतीय को शक के आधार पर गिरफ्तार करके उसपर मुकदमा चलाया जा सकता था। भारतीयों ने इसे काला कानुन कहा।
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दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर- दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य अंग्रेज सरकार द्वारा बनायें गए नमक कानून का उल्लंघन करना था। गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को सावरमती आश्रम से दांडी तक अपने 78 सहयोगियों के साथ यात्रा की। 24 दिनों की लंबी अवधि के बाद 5 अप्रैल 1930 को वे दांडी पहुँचे तथा 6 अप्रैल 1930 को समुद्र के पानी से नमक बनाकर उन्होंने नमक कानुन को तोड़ा।
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गांधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या है?
उत्तर- 5 मार्च 1931 को महात्मा गाँधी और लार्ड इरविन के बीच होने वाले समझौता को गाँधी इरविन समझौता के नाम से जाना जाता है।
इस समझौता के कारण गाँधी जी को सविनय अवज्ञा आंदोलन की त्याग कर दुसरे गोलमेल सम्मेलन (1931) में भाग लेना पड़ा था।
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चम्पारण सत्याग्रह पर संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर- बिहार के चम्पारण में किसानों को उसके भुमि के 3/20 भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी। किसान नील उगाना नहीं चाहते थे। क्योंकि नील की खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती थी।
बिहार के एक किसान राजकुमार शुक्र ने गाँधी जी को चम्पारण की समस्या से अवगत कराया और उन्हें चम्पारण आने हेतु आमंत्रित किया गाँधी जी ने अपने प्रयासों से 1918 ई० में चम्पारण एग्रोरियन कानुन द्वारा नील की खेती को समाप्त कर दिया और अपने प्रथम आंदोलन को सफल बनाया।
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मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- 1920 के दशक में भारतीय क्रांतिकारियों के गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को षड्यंत्र के तहत फसाकर मेरठ के जेल में रखा गया था। इसे ही मेरठ षड्यंत्र कहते है।
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‘जतरा भगत’ के बारे में आप क्या समझते है, संक्षिप्त में लिखें।
उत्तर- 20 वीं शताब्दी में छोटानागपुर वर्तमान समय के झारखण्ड में उराँव जनजाती के लोगों ने टाना भगत नामक आंदोलन चलाया। इस आदोलन के नेता जतरा भगत थे। इस आंदोलन में लोगों को मांस-मदीरा, शराब एवं नृत्य से दुर रहने की सलाह दी गई थी।
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ऑल इंडिया ट्रेड युनियन कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर- किसानों और श्रमिकों को सक्रिय रूप से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल करने के लिए ही ऑल इंडिया ट्रेड युनियन कांग्रेस 1920 ई० में स्थापित हुई थी।
सुमेलित करें :
प्रश्न
(i) गाँधीवादी चरण (क) 5 फरवरी, 1922
(ii) चौरी-चौरा हत्याकांड (ख) 1919-47
(iii) कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष (ग) 1915
(iv) बंगाल विभाजन वापस (घ) केरल
(v) महासभा (ङ) 1911
(vi) मोपला विद्रोह (च) मदन मोहन मालवीय
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उत्तर—
(i) गाँधीवादी चरण (ख) 1919-47
(ii) चौरी-चौरा हत्याकांड (क) 5 फरवरी, 1922
(iii) कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष (ग) 1915
(iv) बंगाल विभाजन वापस (ङ) 1911
(v) महासभा (च) मदन मोहन मालवीय
(vi) मोपला विद्रोह (घ) केरल
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लघु उत्तरीय प्रश्न:
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असहयोग आन्दोलन एक प्रथम जन आंदोलन था। कैसे?
उत्तर- असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1920-22 में गांधी जी के द्वारा शुरू किया गया था। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
- खिलाफट का मुद्दा।
- पंजाब में बर्बर सरकार के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना।
- स्वराज्य की प्राप्ति करना।
Note: असहयोग आंदोलन में समाज के सभी वर्गों के लोगों ने अपना योगदान दिया। इसलिए, इसे प्रथम जन आदोलन के नाम से जाना जाता है।
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सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर- सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित परिणाम हैं-
(i) इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया। समाज के नए वर्गों में अंग्रेज विरोधी भावनाएं व्याप्त हुई।
(ii) आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी विशेष महत्व रखती है। पहली बार राष्ट्रीय आंदोलन के अन्तर्गत महिलाओं को प्रभावी भुमिका में देखा गया है। इस आंदोलन में महिलाओं की भुमिका का दुसरा पहलू हैं।
(iii) इस आन्दोलन के दौड़ान संगठन के नए तरीकों का इस्तेमाल हुआ जो कि पुर्व के आंदोलनों में नहीं हुआ था।
(iv) सविनय अवज्ञा आंदोलन ने श्रमिकों एवं कृषक आंदोलन कों भी प्रभावित किया।
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(v) इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई० का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना था।
(vi) पहली बार ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत की।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 19वीं सदी के अन्तिम चरण में हुई थी। इस समय इंडियन नेशनल एसोसिएशन (Indian National Association) द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था, साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीय द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था। लार्ड रिपन के काल में पास हुए इलबर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का कारण दें दिया।
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बिहार के किसान आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें?
उत्तर- बिहार में 1920 के दशक के बाद किसान आंदोलन का विकास हुआ। सर्वप्रथम ‘मो० जुबैर’ ने 1922-23 ई० में किसान सभा का गठन किया। इसके बाद 1929 ई० में ‘स्वामी सहजानंद‘ ने बिहार में किसान सभा का गठन किया और अपनी माँगों को राष्ट्रीय आंदोलनों के माध्यम से प्रस्तुत किया। Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद
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स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर- असहयोग आंदोलन की अचानक वापसी से उत्पन्न निराशा और क्षोभ के कारण 1922 में गया कांग्रेस अधिवेशन में स्वराज्य पार्टी की स्थापना का विचार सामने आया। चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरू के द्वारा स्वराज्य पार्टी की स्थापना 1 जनवरी 1923 को की गई थी। इसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर, भारत के लिए अधिक स्व-शासन और राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग करना था।
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दीर्घ उतरिय प्रश्न:
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प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंतर्संबंधों की विवेचना करें।
उत्तर– प्रथम विश्वयुद्ध इतिहास की एक प्रमुख घटना थी। जो दो समुहों मित्र राष्ट्र एवं केन्द्रीय शक्तियों के बीच लड़ा गया था। यह घटना 1914-1918 तक चली थी।
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कारणों के साथ भारत का अंतर्संबंधों: प्रथम विश्वयुद्ध औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन औपनिवेशिक व्यवस्था भारत सहित अन्य एशियाई तथा अफ्रिका देशों में उसकी स्थापना और उसे सुरक्षित रखने के प्रयासों के क्रम में लड़ा गया। ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण था और ब्रिटेन इस प्रथम विश्वयुद्ध के अस्थिर माहौल में भी हर हाल में सुरक्षित रखना उसकी पहली प्राथमिकता थी। युद्ध आरंभ होते ही ब्रिटिश शासन का लक्ष्य यहाँ क्रमशः एक जिम्मेवार सरकार की स्थापना करना था। अतः 1916 में सरकार ने भारत में आयात शुल्क लगाया ताकि कपड़ों उद्योंग का विकास हो सके और उसका फायदा अंग्रेजों को मिल सकें।
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असहयोग आंदोलन के कारणों एवं परिणामों की चर्चा करें।
उत्तर- असहयोग आन्दोलन के कारण एवं परिणाम निम्नलिखित है।
कारण
- खिलाफट का मुद्दा।
- पंजाब में बर्बर सरकार के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना।
- स्वराज्य की प्राप्ति करना।
परिणाम
- इस आंदोलन के परिणामस्वरूप ही 5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा नामक घटना घटी।
- इस आंदोलन के परिणामस्वरूप ही कई लोगों ने अपनी सरकारी नौकरियों त्याग दी।
- इस आन्दोलन के परिणामस्वरूप ही मोतीलाल नहरु एवं बल्लभाई पटेल जैसे लोगों ने वकालतछोड़ दी।
- इस आंदोलन के परिणामस्वरूप ही ‘महात्मा गांधी’ को जेल तक जाना पड़ा।
5.. विभिन्न स्तर पर कई कॉलेजों की स्थापना की गई।
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सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों एवं परिणामों की चर्चा करें।
उत्तर- सविनय आंदोलन के कारण एवं परिणाम निम्नलिखित हैं-
कारण
(i) साईमन कमिशन की नियुक्ती- 1927 ई० में संवैधानिक विचारों के प्रश्न पर विचार करने हेतु अंग्रेज सरकार के प्रश्न पर विचार करने हेतु अंग्रेज सरकार ने सात सदस्यी टीम की घोषणा की जिसके सभी सदस्य ब्रिटिश के थे। एवं संवैधानिक सुधारों के प्रश्नों पर विचार करने आये थे। भारतीयों ने इसका कड़ा विरोध किया।
(ii) नेहरू रिपोर्ट- साइमन कमिशन के बहिष्कार के बाद भारत के सचिव ने भारत को ऐसी संविधान बनाने की चुनौती दी जिसमें सभी दल सर्वमान्य हो। मोतिलाल नेहरू ने नेतृत्व 1928 ई० में संविधान तैयार कर लिया गया परंतु यह स्वीकृत नहीं हो पाया।
(iii) विश्वव्यापी आर्थिक मंदीः 1929 में अमेरिका से विश्वव्यापी आर्थिक मंदी शुरू हुआ था। जिसका प्रभाव सन्पूर्ण देश में पड़ा भारत की आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो गई। भारत से वस्तुओं का निर्यात बंद हो गया परंतु अंग्रेज सरकार ने धन का निष्कासग बंद नहीं किया। जो सविनय अवज्ञा आंदोलन का एक कारण बना।
(iv) पुर्ण स्वराज्य की माँगः दिसम्बर 1929 ई० में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ। 31 दिसम्बर 1929 ई० की मध्य रात्रि रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया तथा स्वतंत्रा की घोषना का प्रस्ताव पढ़ा 26 जनवरी 1930 कॉ पुर्ण स्वतंत्रा दिवस मनाने की घोषणा की गई इस प्रकार पुरे देश में उत्साह की एक नई लहर जागृत हुई।
परिणाम
(i) इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया। समाज के नए वर्गों में अंग्रेज विरोधी भावनाएं व्याप्त हुई।
(ii) आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी विशेष महत्व रखती है। पहली बार राष्ट्रीय आंदोलन के अन्तर्गत महिलाओं को प्रभावी भुमिका में देखा गया है। इस आंदोलन में महिलाओं की भुमिका का दुसरा पहलू हैं।
(iii) इस आन्दोलन के दौड़ान संगठन के नए तरीकों का इस्तेमाल हुआ जो कि पुर्व के आंदोलनों में नहीं हुआ था।
(iv) सविनय अवज्ञा आंदोलन ने श्रमिकों एवं कृषक आंदोलन कों भी प्रभावित किया।
(v) इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई० का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना था।
(vi) पहली बार ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत की।
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भारत में मजदूर आन्दोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर- यूरोप में औद्योगिकरण और मार्क्सवादी विचारों के विकास का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ा और भारत में भी औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ मजदूर वर्ग में चेतना जाग्रत हुयी। 20वींशताब्दी के आरम्भिक वर्षों में सुब्रम्हण्य अभ्चर ने मजदूरों के युनियन के गठन की बात कही, तो दूसरी ओर स्वदेशी आन्दोलन का भी प्रभाव मजदूरों पर पड़ा, सन् 1917 में अहमदाबाद में प्लेग की महामारी के कारण मजदूरों को शहर छोड़कर जाने को रोकने के लिए मिल मालिकों ने उनके वेतन में वृद्धि की थी, जो महामारी खत्म होने पर समाप्त कर दी गयी। इससे मजदूर असंतुष्ट थे, क्योंकि प्रथम विश्वयुद्ध और उससे उत्पन्न महंगाई के कारण बोनस की कटौती उनके लिए कष्टदायक थी।
गाँधी जी ने मजदूरों की मांग का समर्थन किया और मिल मालिकों के साथ मध्यस्थता का प्रयास किया। अन्ततः उन्हीं के सूझाव पर बोनस पुनः बहाल किया गया और इसकी दर 35% निर्धारित की गयी। सन् 1917 की रूसी क्रांति का कम्युनिष्ट इन्टरनेशन तथा श्रम संगठन की स्थापना कुछ ऐसी विदेशी घटनाएँ थीं, जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन एवं मजदूर वर्ग दोनों पर ही पड़ा। 31 अक्टूबर 1920 को कांग्रेस पार्टी ने ‘ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना की। सी० आर० दास ने सूझाव दिया कि कांग्रेस द्वारा किसानों एवं श्रमिकों को राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय रूप से शामिल किया जाय और इनकी मांगों का समर्थन किया जाय।
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भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधी जी के योगदान निम्नलिखित हैं:-
(i) हिंदू-मुस्लिम एकता: गांधीजी ने हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने के लिए तथा देश को विभाजित करने वाले संप्रदाय तत्वों से लड़ने का प्रयास किया।
(ii) सामाजिक सुधार: गांधी जी ने सामाजिक सुधार के लिए भी बहुत काम किया। उन्होंने जातिवाद, , बाल विवाह और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने शिक्षा, स्वच्छता और ग्रामीण विकास के लिए भी प्रयास किया।
(iii) अहिंसा और सत्याग्रह: गांधीजी ने हिंसा के बजाय अहिंसा और सत्याग्रह का उपयोग करके स्वतंत्रता की लड़ाई में एक नया मार्ग प्रशस्त किया। सत्याग्रह सत्य और अहिंसक प्रतिरोध का एक रूप है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह और अहमदाबाद मिल हड़ताल जैसे आंदोलनों में सत्याग्रह का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।
(iv) जन-आंदोलन का नेतृत्व: गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक जन-आंदोलन में बदल दिया। उन्होंने साधारण लोगों को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
(v) असहयोग आंदोलन: असहयोग आंदोलन गांधी जी का पहला व्यापक जन आंदोलन था। इस आंदोलन में लोगों ने ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया, जैसे कि सरकारी तथा गैर सरकारी समारोहों का बहिष्कार करना, सरकारी स्कूलों एवं कॉलेजों का बहिष्कार करना, विधान परिषद के चुनावों का बहिष्कार, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार।
(vi) नमक सत्याग्रह(1930): गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी यात्रा से की। 12 मार्च 1930 ई. को साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ 24 दिनों में 250 कि.मी. की पदयात्रा के पश्चात् 5 अप्रैल को वे दांडी पहुँचे तथा 6 अप्रैल को समुद्र के पानी से नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया।
(vii) भारत छोड़ो आंदोलन: भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक जन विरोध को जन्म दिया। अंततः ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ना पड़ा।
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें ।
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका निम्नलिखित हैं:-
- सामाजिक न्याय और समानता: वामपंथियों ने जातिगत भेदभाव, जमींदारी प्रथा और अन्य सामाजिक असमानताओं के खिलाफ संघर्ष किया।उन्होंने एक समान और न्यायपूर्ण समाज के लिए संघर्ष किया।
- किसान और मजदूर आंदोलन: वामपंथी भारतीय किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।उन्होंने उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए आवाज उठाई।
- क्रांतिकारी विचारधारा: वामपंथियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक क्रांतिकारी आंदोलन बनाने में मदद की।उन्होंने भारतीय समाज में जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए संघर्ष किया।
- राजनीतिक भागीदारी: वामपंथियों ने आम लोगों को राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने किसानों, मजदूरों और अन्य वंचित समूहों को संगठित किया और उन्हें राजनीतिक शक्ति प्रदान की।
- साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष: वामपंथियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया।उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से पूरी तरह से मुक्त करने के लिए संघर्ष किया।
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